महाभारत का नाम आते ही उस महायुद्ध की याद आ जाती है। जिसमें गद्दी पाने के लिए कौरव-पांडवो ने खून की होली खेली थी। जिसके निशान आज भी कुरूक्षेत्र की धरती पर मौजूद है।
जहां खोदने से आज भी लाल मिट्टी निकती है। क्या आप जानते हैं महाभारत में पांच पाड्व इतने सारे कौरवों से कैसे जीते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि, भगवान श्री कृष्ण रणनीति के चलते पांडवो ने विजय प्राप्त की थी। महाभारत एक धर्म युद्ध था जिसे जितने के लिए पांडवों ने कुछ अधर्म नीतियों के चलते जीता। जो कि भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बताई गई थीं।
चलिए आपको भगवान कृष्ण की छल नीतियों के बारे में बताते हैं..
1-भारत युद्ध में विजय के लिए सबसे जरुरी था कि पितामह भीष्म युद्ध क्षेत्र से हट जाएं। इसके लिए श्री कृष्ण ने अर्जुन के रथ पर शिखंडी को बैठाया। शिखंडी पूर्ण पुरुष नहीं था भीष्म इन्हें स्त्री मानते थे क्योंकि वह पूर्व जन्म में अंबा थी।
भीष्म की प्रतिज्ञा थी कि वह स्त्री पर हथियार नहीं चलाएंगे। इसी प्रतिज्ञा का लाभ उठाकर श्री कृष्ण ने अर्जुन को प्रेरित किया कि वह पितामह भीष्म को वाणों की शैय्या पर लेटा दिया और अंत में यही हुआ। अगर श्री कृष्ण ने ये नीति न चली होती तो पांडव कभी भी युद्ध नहीं जीतते।
2-भीष्म के बाद द्रोणाचार्य ऐसे योद्धा थे जिनके रहते युद्ध जीतना असंभव था। इन्हें विजय के रास्ते से हटाने के लिए श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को झूठ बोलने के लिए प्रेरित किया।
युधिष्ठिर ने द्रोणाचार्य से कहा कि उनका पुत्र अश्वत्थामा मर गया है। जबकि मरा था अश्वत्थामा नाम का एक हाथी। युधिष्ठिर के आधे सत्य से दुखी होकर द्रोणाचार्य ने अपने धनुष बाण जमीन पर रख दिए और विलाप करने लगे। मौके का लाभ उठाकर धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया। और इस तरह युधिष्ठिर ने द्रोणाचार्य को धोखे से मौत के घाट उतारा था।
3-अर्जुन ने प्रतिज्ञा ले ली कि वह सूर्यास्त तक जयद्रथ का वध नहीं कर पाए तो आत्मदाह कर लेंगे। अगर ऐसा हो जाता तो पांडवों की हार हो जाती।
इसलिए युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र सूर्य की ओर छोड़ दिया जिससे सूर्य की रोशनी छुप गई और सभी को लगा कि शाम हो चुकी है। उत्साहित जयद्रथअर्जुन को आत्मदाह के लिए उकसाने लगा। इसी बीच श्री कृष्ण ने अपना चक्र सूर्य की ओर से हटा लिया और सूर्य निकल आया। अर्जुन ने पास खड़े जयद्रथ का वध कर दिया और अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। इस दिन अगर श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र न चालाया होता तो पांडव कभी भी महाभआरत नहीं जीत पाते।
4-गवान श्री कृष्ण ने चौथा छल उस समय किया जब कर्ण कौरव सेना का सेनापति बना और अर्जुन से युद्ध के लिए आया।
कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया जिसे निकालने के लिए कर्ण ने अपने धनुष बाण रख दिया। निहत्थे कर्ण को देखकर श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्ण वध के लिए उकसाना शुरु किया । उसके बाद अर्जुन ने कर्ण पर बाम चला दिया। इस तरगह निहत्थे कर्ण की मौत हो गई है।
5-आपको जानकर हैरानी होगी कि,दुर्योधन का अंत भी श्री कृष्ण की छल बुद्धि से संभव हुआ। क्योंकि
श्री कृष्ण ने दुर्योधन को माता के पास निर्वस्त्र होकर न जाने की सलाह दी जिससे कमर के नीचे का हिस्सा वज्र का नहीं हो पाया। भीम के साथ जब दुर्योधन का युद्ध हुआ तब श्री कृष्ण ने भीम को सलाह दी कि कमर के नीचे के हिस्से पर प्रहार करो जबकि यह नियम के विरुद्ध था। लेकिन फिर भी भीम ने दुर्योधन पर प्रहारकर दिये।
इस तरह श्री कृष्ण के बताए हुए रास्तों पर चलकर पांडवों ने विजय प्राप्त की। श्री कृष्ण के द्वारा दिखाए गये रास्तों को पूरी तरह से छल नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, भगवान कृष्ण को राजनीति और कूटनीति में दक्ष माना गया है। उनकी नीती छलपूर्ण नहीं थी। जब युद्ध में कौरवों ने अभिमन्यु को धोखे और नियम विरुद्ध मारकर नियम भंग किया तो फिर पांडव भी नियम पर चलने के लिए बाध्य नहीं रह गए थे।
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युद्ध के पहले भी कौरवों ने छलपूर्ण तरीके से पांडवों को वनवास भेजा ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को बचाने के लिए जो भी किया वह सत्य और धर्म की रक्षार्थ ही था। इसलिए जिन लोगों को ये लगता है कि, श्री कृष्ण ने नियमों के विरूध जाकर पांडवों को बेबस किया वो गलत सोचते हैं।