देव उठनी एकादशी। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 25 नवंबर 2020 यानि की आज मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महतवपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती है। जबकि अधिमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य रूक जाते हैं। वहीं देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद पुन: शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
एकादशी के दिन ये जरूर करें-
पंडित प्रदीप मिश्रा जी बताते है कि जब नारायण पहला चरण पृथ्वी पर अर्थात् आंवले के वृक्ष पर बैठकर आंवला नौमी से साधना करते हुए नेत्र बंद कर देवउठनी एकादशी तक जब भगवान साधना से उठकर पहली बार चरण रखते है तो नारायण का पहला चरण भगवान कुबेर भंडारी के हाथ पर रखते है और दूसरा चरण माता लक्ष्मी के हाथ पर रखते हैं। प्रदीप मिश्रा जी ने आगे बताया कि अगर व्यापार में कोई कमी हो या कमाई अच्छी नहीं हो रही हो तो देवउठनी एकादशी के दिन जब रात्रि में भगवान ठाकुर जी और तुलसी जी की पूजा करें तो उससे पहले वहां एक सिक्का रखकर भगवान की प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद जब आप सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में देवता को उठाए, उस गन्ने की झोपड़ी के अंदर या लिपन करें तो उस सिक्के को अपनी झोली में डालकर हल्दी से भरी कटोरी में डालकर अपनी दूकान, व्यवसाय या व्यापार की जगह रख दें। इसके बाद उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि जब नारायण अपना पहना चरण पृथ्वी पर रखते है तो एक चरण कुबेर के हाथों में और दूसरा चरण माता लक्ष्मी के हाथों में होता है।
देवउठनी एकादशी के दिन क्या उपाय करें-
देवउठनी एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए और शंख में गंगाजल भरकर भगवान विष्णु जी का अभिषेक करना चाहिए।
प्रबोधिनी एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को पीले रंग का प्रसाद जरूर चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि भगवान विष्णु को पीले रंग का प्रसाद और फल चढ़ाने पर जल्दी खुश होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें ऐसा करने से धन लाभ होता है और आर्थिक जीवन आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।