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कोरोना से डरें नहीं, अपने व्यवहार में लाएं परिवर्तन : डॉ. राजीव गर्ग

कोरोना से डरें नहीं

लखनऊ। कोरोना की तीसरी लहर कब और किस रूप में आएगी और कितनी भयानक होगी, ये कहना असंभव है। वर्तमान परिस्थितियों और वैज्ञानिक अध्ययनों को देखने से साफ पता चल रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी। कोरोना से बचाव को लेकर कोई ऐसी दवा नहीं है जो शतप्रतिशत सुरक्षा दे सके, हालांकि कोरोना संगत व्यवहार ही हमें संक्रमण से बचा सकता है। इसलिए कोरोना के मानकों का हमें पालन करना चाहिए। यह बातें केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव गर्ग ने मंगलवार को प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 21वें अंक में कहीं।

डॉ. राजीव गर्ग ने कहा कि हमें यह मानकर चलना चाहिए कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए संक्रमण की रफ्तार को कम करने के लिए हमें कोविड संगत व्यवहार को महत्ता देनी होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना टीका लगवा चुके लोगों को भी संक्रमण हो सकता है, ऐसे में भ्रांतियों से दूर रहने की जरूरत है। हालांकि उनको खतरा जरूर कम हो सकता है। उन्होंने कोरोना के प्रति जागरूकता रहने पर जोर देते हुए कहा कि हमें इससे डरने की जरूरत नहीं, बल्कि अपने व्यवहार को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए हमें संतुलित आहार, अनुशासित दिनचर्या और व्यायाम पर जोर देना चाहिए।

बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव तनाव को करेगा कम
विशिष्ट वक्ता एकेटीयू की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रगति शुक्ला ने कहा कि कोरोना काल में महिलाएं किसी न किसी रूप में मानसिक तनाव का शिकार हुई। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय में परिवार के सभी सदस्य आपस में सामन्जस्य बनाकर रखें , अच्छी दिनचर्या का पालन करें और बच्चों के साथ मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक रूप से जुड़कर उनके भी मानसिक तनाव को कम करने का प्रयास करें।

ऑनलाइन माध्यम ने बच्चों को शिक्षा से विमुख होने से बचाया
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही ने कोरोना के कारण बड़ी संख्या में हुए पलायन को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। इस महामारी का शिक्षा पर भी काफी असर पड़ा है, जिससे एक असमंजस स्थिति भी पैदा हुई है। हालांकि इस चुनौती में भी हमने आनलाइन शिक्षा के रूप में समाधान ढूंढ लिया है, जो काफी हद तक बच्चों को शिक्षा से विमुख नहीं होने दिया। इस संकट के समय में बच्चों पर पड़ रहे मानसिक प्रभावों को भी शिक्षकों ने कम करने का प्रयास किया है।

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