नई दिल्ली। बाबा केदारनाथ में चारधाम यात्रा के समापन के अवसर पर आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले बाबा के धाम पर पहुंच कर बाबा केदारनाथ का दर्शन और पूजन किया। इसके बाद वहां साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद चल रहे विकास के कार्यों का जायजा लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वहां के सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस धाम में आने के बाद मुझे एक नई ऊर्जा मिलती है। यहां से मिलने वाली ऊर्जा को लेकर आने वाले 2022 में न्यू इंडिया के लक्ष्य को हम सब साथ मिलकर आगे बढ़ायेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भी जमकर निशाना साधा, उन्होने कहा कि जब साल 2013 में यहां पर प्राकृतिक सैलाब आया था। सब कुछ तबाह हो गया था, उस वक्त मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, यहां पर पुर्ननिर्माण को लेकर जब दिल्ली में मुख्यमंत्रियों की बैठक चल रही थी। इस वक्त मैने यहां पर पुर्ननिर्माण के कार्यों में सहयोग की अपील पर हांमी भरी थी। लेकिन तत्कालीन केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार ने गुजरात से मदद लेने से इनकार कर दिया था।
लेकिन बाबा केदारनाथ और जनता के आर्शीवाद से ये अवसर हमारी सरकार को मिला है। आज इस अवसर पर हमने 5 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। इसके तहत यहां पर घाटों के सौन्दर्यीकरण और सड़कों के पुर्ननिर्माण चौड़ीकरण के साथ रखरखाव की बेहतर व्यवस्थाओं शामिल हैं। इसके साथ ही अब भव्य और दिव्य वातावरण में बाबा के इस धाम का निर्माण किया जायेगा। इसके साथ ही यहां के अर्चकों के लिए भी थ्री इन वन घरों का निर्माण होगा। इसके साथ ही गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक पैदल पथ का चौड़ा किया जायेगा। इसके साथ ही मंदाकिनी और सरस्वती नदी के तट पर घाटों का निर्माण भी सरकार कराएगी। इन सब के साथ आस्था के प्रतीक आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि का पुनर्निर्माण का भी काम सरकार करेगी।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं आप सभी सरकारी और उद्योग जगत के लोगों से अपील करता हूं कि वो इस दिव्य काम के लिए खुलकर आगे आयें और मेरे यहां आने का एख मकसद और है वो ये कि साल 2013 के बाद लोगों ने इस यात्रा में आने को लेकर एक भय बना था। यहां पर लगातार सुविधाओं का टोटा था । मैने यहां की यात्रा कर इसे दूर करने का प्रयास किया है। लोग हादसे को भुलाकर वापस इस धाम की यात्रा पर आयें। इसके साथ ही यहां के पर्यावरण को देखें और आनंद लें। यहां पर शुरू होने वाली सभी परियोजनाएं पर्यावरण के नियमों को देखते हुए ही बनाई जायेंगी।