लखनऊ: लखनऊ हाईकोर्ट बेंच में एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान हैरान कर देने वाला वाक्या समाने आया है। जहां एक दुष्कर्म पीड़िता की मार्कशीट में अलग-अलग डेट ऑफ बर्थ पाई गई।
कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने अम्बेडकरनगर जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच के आदेश है। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थान पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश दिया है।
एससी-एसी-पॉस्कों में दर्ज है मुकदमा
दरअसल, जस्टिस इरशाद अली की अदालत में रिंकू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। याची पर अम्बेडकरनगर जनपद के हंसवर थाने में आईपीसी की धारा 376, 363, 366 समेत पॉक्सो एक्ट और एससी- एसटी का मुकदमा दर्ज है।
पीड़िता मार्कशीट में नाबालिग नहीं..
याची के वकील ने कोर्ट के समक्ष दुष्कर्म पीड़िता की मार्कशीट पेश की। इसके आधार पाया कि पीड़िता नाबालिग नहीं है। लिहाजा पीड़िता का मामला पॉक्सो एक्ट के तहत नहीं हैं।
घटना के समय नाबालिग थी पीड़िता..
हालांकि, सरकारी वकील ने दलील देते हुए कोर्ट को बताया कि अपर प्राइमरी स्कूल दाउदपुर, बसखारी द्वारा पीड़िता की मार्कशीट में उसकी डेट ऑफ बर्थ 2003 दर्ज है। इसके आधार पर घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी।
शैक्षणिक संस्थान पर होगी कार्रवाई
इस मामले पर कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।