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स्टार्टअप और बिजनेस के बीच का समझ गए ये अंतर तो बदल जायेगी जिंदगी

स्टार्टअप और बिजनेस के बीच का समझ गए ये अंतर तो बदल जायेगी जिंदगी

श्रवण कुमार तिवारी, लखनऊः हमने स्टार्टअप शब्द अक्सर किसी ने किसी से सुना होगा। सुना तो हमने बिजनेस के बारे में भी होगा। मगर, हम में से कई ऐसे लोग हैं जिन्हें स्टार्टअप और बिजनेस के बीच का बारीक फर्क नहीं पता होगा।

किसी भी लक्ष्य की ओर बढ़ने या उसे हासिल करने के लिए जरुरी होता है कि उससे जुड़ा कोई भी कन्यफ्यूंजन हमारे दिमाग में न हो। तभी हम उस लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

दरअसल, 16 जून, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य भारत में नए स्टार्टअप की शुरुआत करना था। इस योजना से काफी लोगों को लाभ मिला तो वहीं कुछ लोगों को इसका नुकसान भी उठाना पड़ा।

नुकसान उठाने के कारण स्टार्टअप के बारे में जानकारियों का अभाव, उचित दिशा-निर्देश और मजबूत आइडिया न मिल पाना था। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर स्टार्टअप होता क्या है? स्टार्टअप, बिजनेस से कितना अलग है और दोनों में फर्क क्या है?

छोटा बिजनेस

तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि छोटा बिजनेस यानी शुरुआती का व्यवसाय क्या होता है? नाम से आपको पता चल रहा है कि छोटे बिजनेस की शुरुआत कम पैसा लगाकर, कम लोगों के साथ काम किया जाता है। ये एक तरह की कंपनी भी हो सकती है और पार्टनरशिप भी। शुरुआती दौर में बिजनेस में बाजार की मांग के हिसाब से परखना जरूरी होता है।

स्टार्टअप

बिजनेस की दुनिया में स्टार्टअप का नाम आज के समय बहुत प्रचलित है। दरअसल, स्टार्टअप एक ऐसा बिजनेस होता है, जो बिल्कुल ही यूनीक हो। यानी ऐसा बिजनेस जो पहले बाजार में न हो या न आया हो। उदाहरण के तौर पर ओला, उबर, स्नैपचैट जैसे तमाम स्टार्टअप हमारे सामने मौजूद हैं। यह व्यापार पहले बाजार में नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों की क्रिएटिव सोच ने इन्हें जन्म दिया और यह आज दुनिया में इनकी अलग पहचान है। साथ ही इनसे कई लोगों को रोजगार का अवसर भी मिला। यानी अब आप समझ गए होंगे कि स्टार्टअप वह बिजनेस है, जो पहले से बाजार में नहीं होता है।

स्टार्टअप और बिजनेस में अंतर

स्टार्टअप और बिजनेस में ज्यादा फर्क नहीं होता है। दोनों में बस तीन चीजों का अंतर होता है।

पहला- इनोवेशन

छोटा बिजनेस ऐसा बिजनेस है, जो बाजार में पहले से मौजूद है यानी कोई और कर रहा है। वहीं, स्टार्टअप वह बिजनेस होता है जो बाजार में पहले से मौजूद न हो।

दूसरा- फंडिंग

स्टार्टअप को वेंचर कैपिटल फॉर्म की तरफ से सपोर्ट मिलता है। हालांकि, इसके लिए पूरा प्लान दिखाना पड़ता है और यह भी बताना होता है कि स्टार्टअप से कैसे कमाई बढ़ेगी और मुनाफा होगा। जबकि इसके इतर, छोटे बिजनेस में पैसों का इंतजाम बैंक या कर्ज देने वाली कंपनियां कर देती हैं। इसमें बिजनेस से पहले प्लान, कमाई-मुनाफे को लेकर बात नहीं करनी होती है। क्योंकि ये व्यापार पहले से ही बाजार में मौजूद होता है।

तीसरा- रिस्क

चूंकि स्टार्टअप एक बिल्कुल अलग और यूनीक आईडिया होता है, जिसकी वजह से इसके फेल होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसा जरूरी भी नहीं कि आईडिया नया है तो सभी को पसंद आएगा, लेकिन एक बात तय है कि अगर आईडिया पसंद आया तो रातों-रात स्टार्टअप एक बड़ी कंपनी बन सकती है। इसका दायरा इतना बड़ा हो सकता है कि आप पूरे देश में सभी तक अपने प्रोडक्ट या सर्विस को पहुंचा सकते हैं। वहीं, छोटे बिजनेस में फेल होने का रिस्क कम होता है, लेकिन कंपटीशन बहुत ज्यादा होता है और अचानक कमाई बढ़ने का स्कोर बहुत कम होता है।

अब आपको स्टार्टअप और बिजनेस के बीच का फर्क समझ में आ गया होगा। अब हम आपको अगले पार्ट में बताएंगे कि कोरोना काल में स्टार्टअप को लेकर क्रेज कितना बढ़ा है और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में स्टार्टअप का कितना असर हुआ है।

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