उत्तराखंडः सदन का शीतकालीन सत्र आरम्भ होते ही एक बार फिर सूबे में मंत्री और गुणा गणित की राजनीति के प्रणेता हरक सिंह रावत ने एक सनसनी फैलाते हुए सदन में ही पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के शोक प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि तिवारी जी की सरकार को गिराने का हमने विधायकों को तोड़ कर प्रयास किया लेकिन इसके बाद भी तिवारी जी ने मुझे नेता प्रतिपक्ष का पद 2007 में दिया।
हरक सिंह रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एनडी तिवारी जी सरकार गिराने के लिए हमने कठोर कदम उठाया बावजूद इसके भी उनकी दरिया दिली कम नही हुई। हरक सिंह ने कहा कि इतना बड़ा विरोध करने के बावजूद भी उन्होंने मुझें (हरक सिंह रावत) विकास जो विकास के लिए आशीर्वाद दिया उसी की बदौलत 2007 में जहां सरकार के कई मंत्री चुनाव हार गए वहां मुझे जीत मिली।
हरक ने कहा कि तिवारी जी ने लीडर ऑफ अपोजिशन भी बनाया। हरक ने तमाम विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पुरी डिग्री कॉलेज, पॉलिटेक्निक, आईटीआई नवोदय विद्यालय ,समेत कई कार्य विकास के रूप में तिवारी जी ने मुझे आशीर्वाद दिया।
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अब सूबे में एक बार फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया है। क्योंकि साल 2016 कांग्रेस की सरकार को गिराने का सारा कामल को हरक सिंह रावत ने अंजाम दिया था। हांलाकि सरकार बच गई थी, लेकिन सदन में दिए गए इस बयान से अब आखिरकार हरक सिंह रावत क्या साबित करना चाहते हैं यह एक बड़ा अहम सवाल है।
गौरतलब है कि हरक सिंह रावत अब बीजेपी सरकार में मंत्री हैं और कांग्रेस छोड़कर जब से भाजपा में शामिल हुए हैं उनका वह वर्चस्व नजर नहीं आता है। जिसकी उनको उम्मीद थी कि इस बयान के कई अलग अलग मायने ज़रूर निकाले जा सकते हैं। क्या ये भाजपा के नेताओं को चेतावनी देने का हरक सिंह रावत का भी एक इशारा हो सकता है।
प्रदेश में सरकार के गठन के बाद से हरक सिंह रावत सरकार के खिलाफ और कई बार अपने ही विभाग के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर चुके हैं। ताज़ा मामला कोटद्वार निकाय चुनाव में भाजपा की हार के बाद हरक सिंह के टिकट वितरण में अंदेखी के बयान के बाद उठा है। हरक का लगातार पार्टी गाइड लाइन से इतर जाना और हर इस तरह से सदन में अपने आप को प्रस्तुत करने का संदेश दे रहा है।