सावन का महीना शुरू हो गया है। ऐसे में अब मंदिरों में लोगों की भीड़ भी देखने को मिल रही है। बंम शंकर के नाम से मंदिरों में भोले बाबा के जयकारे लग रहें हैं।
कोरोना की पड़ी मार
देश में कोरोना वायरस पूरी तरह फैला हुआ है। जिसके चलते ज्यादातर मंदिरों में श्रद्वालुओं का आना मना है। ऐसे में अब लोगों को घर पर बैठकर ही सावन माह का पालन करना पड़ रहा है।
सोमवार को होता है विशेष महत्व
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। सावन के सोमवार के साथ ही सावन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस साल सावन शिवरात्रि 6 अगस्त को आ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन शिवरात्रि का व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाएगा। व्रत पारण 07 अगस्त को होगा।
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
सावन मास की चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट से षुरू होगी। जो कि अगले दिन 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, सावन शिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जानी चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, निशिता काल 07 अगस्त की रात 12 बजकर 06 मिनट से शुरू होकर 07 अगस्त की रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 43 मिनट की है। सावन मास की शिवरात्रि के व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 07 अगस्त, दिन शनिवार की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक है।
व्रत करने के नियम
पुराने और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति को सावन मास में सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज, लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए। सावन मास में मांस-मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए। सावन महीने में भगवान शिव की अराधना ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सावन के सोमवार का व्रत करना चाहिए।
ऐसा करने से आपको लाभ प्राप्त होगा। इसलिए सावन के महीने को शिव पूजा के लिए खास माना जाता है।