हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के समाप्त होते ही पहला शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी के वरलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है।
यह भी पढ़े
अमरनाथ यात्रा का शांतिपूर्ण समापन, चंदनबाड़ी से शेषनाग पहुंची छड़ी मुबारक
इस साल वरलक्ष्मी का व्रत काफी खास है। क्यों सौभाग्य, शोभन जैसे योग बन रहे है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि वरलक्ष्मी का व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विवाहित महिलाएं वरलक्ष्मी व्रत को पति और बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद रखती हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस शुभ दिन पर देवी लक्ष्मी की पूजा करना अष्टलक्ष्मी की पूजा करने के बराबर है – प्रेम, धन, शक्ति, शांति, प्रसिद्धि, खुशी, पृथ्वी और विद्या की आठ देवी। वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त
वरलक्ष्मी व्रत तिथि-12 अगस्त 2022
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 6 मिनट से
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा समाप्त- 13 अगस्त को प्रात: 03 बजकर 46 मिनट तक
सौभाग्य योग- 11 अगस्त दोपहर 03 बजकर 32 मिनट से 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 33 मिनट तक
शोभन योग – 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 33 मिनट से 13 अगस्त सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक।
वरलक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त- सुबह 06:14 बजे से 08:32 बजे तक
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त- दोपहर में 01:07 बजे से 03:26 बजे तक
कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त- शाम को 07:12 बजे से रात 08:40 बजे तक
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त- रात 11:40 बजे से देर रात 01:35 बजे तक
वरलक्ष्मी पूजा सामग्री
वरलक्ष्मी की पूजा सामग्री में वही सब सामान लगते हैं, जो दिपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा में लगते हैं। मां वरलक्ष्मी की पूजा करने से पहले नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, कलश, लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीप, धूपस माला, हल्दी, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दही, केले, पंचामृत, कपूर दूध और जल इकट्ठा कर लें।
वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि
प्रातः काल जगकर दैनिक कार्य खत्म करके स्नान कर लेना चाहिए। पूजा करने वाली जगह पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। मां वरलक्ष्मी का मनन करते हुए व्रत रखने का संकल्प करें। एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
तस्वीर के बगल में थोड़े से चावल रखें औऱ उसके ऊपर एक कलश में जल भरकर रख दें। कलश के चारों तरफ से चंदन लगा लेना चाहिए। माता लक्ष्मी और गणेश को पुष्ण, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला अर्पित करें। मां वरलक्ष्मी को सोल श्रृंगार अर्पित करें। अब मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप और घी का दीपक जलाकर मंत्र पढ़ लें। पूजा के बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करके सभी के बीच प्रसाद का वितरण कर दें।