आज वामन जयंती का पावन पर्व है। इस दिन व्रत कर विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन जी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और समस्त दुखों का नाश होता है।
श्री हरि भगवान विष्णु के पांचवे अवतार का हुआ था जन्म
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन त्रेता युग में श्रवण नक्षत्र के अभिजीत मुहूर्त में श्री हरि भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन का जन्म हुआ था। वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे और त्रेता युग के पहले अवतार थे। साथ ही वह भगवान विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे, जो मनुष्य के रूप में प्रकट हुए। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी अदिति के यहां जन्में भगवान वामन ने राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदमो में तीनों लोक नाप दिया था। इस दिन व्रत कर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से पूर्व में हुए ज्ञात अज्ञात पापों का नाश होता है।
वामन जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
सनातन हिंदु धर्म में वामन एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। हिंदु शास्त्रों के अनुसार श्रवण नक्षत्र होने पर वामन जयंती का महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ इस दिन भगवान वामन की पूजा अर्चना करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जल झूलनी एकादशी व्रत। पद्मा एकादशी। वामन जयंती। श्री विष्णु श्रृंखला रात्रि 3.36 बजे तक। विश्वकर्म पूजा। सूर्य दक्षिणायन। सूर्य उत्तर गोल। शरद ऋतु।
यह भी पढ़े
पीएम मोदी का 71वां जन्मदिन, शुभकामनाओं का दौर शुरू, ऐसा रहा है उनका जीवन
राहुकाल समय
आज सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकालम
17 सितंबर का पंचांग :
दिन- शुक्रवार, 26 भाद्रपद (सौर) शक 1943, 2 आश्विन मास प्रविष्टे 2078, 9 सफर सन हिजरी 1443, भाद्रपद शुक्ल एकादशी प्रात: 8.08 बजे तक उपरांत द्वादशी, श्रवण नक्षत्र रात्रि 3.36 बजे तक तदनंतर धनिष्ठा नक्षत्र, अतिगण्ड योग रात्रि 8.20 बजे तक पश्चात सुकर्मा योग, भद्रा (करण) प्रात: 8.08 बजे तक, चंद्रमा मकर राशि में (दिन-रात)।