Chhath Puja 2022: 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का छठ महापर्व आज चौथे दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। छठ व्रत के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत को तोड़ने का विधान है।
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चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और उपवास के माध्यम से प्रत्येक साधक अपने परिवार और विशेषकर अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के सभी हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ पर्व छठ मैया और दृश्य देवता भगवान भास्कर की विशेष पूजा के लिए किया जाता है।
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
भले ही दुनिया कहती है कि जो उदय हुआ है, उसका डूबना तय है, लेकिन लोक आस्था के छठपर्व में पहले डूबते और बाद में दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का यही संदेश है कि जो डूबा है, उसका उदय होना भी निश्चित है।
इसलिए विपरीत परिस्थितियों से घबराने के बजाय धैर्यपूर्वक अपना कर्म करते हुए अपने अच्छे दिनों के आने का इंतजार करें। निश्चित ही भगवान भास्कर की कृपा से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलेगा।
छठ पूजा का धार्मिक महत्व
भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है। भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी। सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है, लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है।
मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।