देवउठनी एकादशी 2021: हिन्दू धर्म में सामान्यत: आषाढ़ से कार्तिक माह तक शुभ कार्य बंद रहते हैं। माना जाता है कि इस समय देवता, मुख्य रूप से श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। जब श्री हरि देवोत्थान एकादशी को योगनिद्रा से जगते हैं, तब जाकर शुभ कार्य पुनः आरम्भ होते हैं। यह अवसर हिन्दू धर्म में विशेष आनंद और मंगल का माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ समय:– 14 नवंबर सुबह 05:48 बजे
एकादशी तिथि समापन समय:- 15 नवंबर सुबह 06:39 बजे
तुलसी विवाह 2021
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान शालिग्राम संग माता तुलसी का विधि-विधान से विवाह संपन्न किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चार माह की निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं इस कारण लोग इस दिन तुलसी का भी पूजन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं।
तुलसी-शालिग्राम विवाह कथा
कथा के अनुसार प्राचीन काल में तुलसी जिनका एक नाम वृंदा है, शंखचूड़ नाम के असुर की पत्नी थी। शंखचूड़ दुराचारी और अधर्मी था, देवता और मनुष्य, सभी इस असुर से त्रस्त थे। तुलसी के सतीत्व के कारण सभी देवता मिलकर भी शंखचूड़ का वध नहीं कर पा रहे थे। सभी देवता मिलकर भगवान विष्णु और शिवजी के पास पहुंचे और उनसे दैत्य को मारने का उपाय पूछा।
उस समय भगवान विष्णु ने शंखचूड़ का रूप धारण करके तुलसी का सतीत्व भंग कर दिया। जिससे शंखचूड़ की शक्ति खत्म हो गई और शिवजी ने उसका वध कर दिया।बाद में जब तुलसी को ये बात पता चली तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। विष्णुजी ने तुलसी के श्राप को स्वीकार किया और कहा कि तुम पृथ्वी पर पौधे और नदी के रूप में रहोगी और तुम्हारी पूजा भी की जाएगी। मेरे भक्त तुम्हारा और मेरा विवाह करवाकर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।उस दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी का दिन था।
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2021
15 नवंबर 2021: दोपहर 1:02 बजे से दोपहर 2:44 बजे तक
15 नवंबर 2021: शाम 5:17 बजे से – 5:41 बजे तक
तुलसी विवाह
वही कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह भी माना जाता है। और इस वर्ष तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021 सोमवार के दिन होगा।
भगवान विष्णु को जगाने का मंत्र
‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥’
‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥’
‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’
तुलसी विवाह पूजा विधि 2021
– शुभ मुहूर्त में लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं।
– फिर तुलसी के गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें।
– दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालीग्राम को स्थापित करें।
– दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप सजाना चाहिए।
– अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
– अब शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें।
– तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं, चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रृंगार करें।
– तत्पश्चात सावधानी से चौकी समेत शालीग्राम को हाथों में लेकर तुलसी का सात परिक्रमा करनी चाहिए।
– पूजन पूर्ण होने के बाद देवी तुलसी व शालीग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें।
– पूजा संपन्न होने के पश्चात सभी में प्रसाद वितरित करें।
देवोत्थान एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। पुनः कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं और जब भगवान विष्णु जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है। देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है,कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन तुलसी विवाह और दीप-दान का भी महत्व है।