पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए तर्पण करना चाहिए। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर यमलोक से धरती पर आते हैं और तर्पण से खुश होकर परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।
अपने पूर्वज की मृत्यु की तारीख के हिसाब से तर्पण और पिंडदान किया जाता है। कहा जाता है कि श्राद्ध करने से पितर खुश होते हैं और हमें सुख-संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं। वहीं श्राद्ध को करने से पहले कुछ नियम भी बताये गये हैं। जिनको करने से पूरा फल मिलता है। इन नियमों के अनुसार श्राद्ध करने से जीवन में पितरों का आर्शीवाद बना रहता है।
शास्त्रों के मुताबिक, श्राद्ध हमेशा अपने घर में किया जाना चाहिये। श्राद्ध को घर, किसी तीर्थ, नदी पर भी किया जा सकता है।
श्राद्ध हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ करना चाहिये क्योंकि दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है।
श्राद्ध करने से पहले वहां अच्छी तरह से साफ कर लें, उसके बाद ही , श्राद्ध करना चाहिये।
श्राद्ध का अधिकार बेटे को दिया दिया गया है, अगर बेटा न हो तो बेटी का बेटा या बेटे का बेटा श्राद्ध कर सकता है।
श्राद्ध सबसे बड़े बेटे को ही करना चाहिये,
अगर किसी का बेटा है तो उसे अपनी पत्नी का श्राद्ध नहीं करना चाहिये। बेटे को ही अपनी मां का श्राद्ध करना चाहिये।
जिसका कोई बेटा या नाती आदि न हो तो उसके भाई की सन्तान उसका श्राद्ध कर सकती है।
शास्त्रों के मुताबिक, गोद लिया हुआ बेटा भी श्राद्ध कर सकता है।