सितंबर महीने से पितृपक्ष शुरु होने जा रहा है, हिंदू पंचांग के मुताबिक अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरु होंगे और 16 दिनों तक रहेंगे। इस बार पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक रहेने वालें हैं। ऐसा माना जाता है कि इन 16 दिनों में दान, श्राद करने से पितृ खुश होते हैं और उनका आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अगर पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं किया जाये तो परिवार पर पितृदोष लगता है। पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करने से तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जिस तारीख को हमारे परिजनों की मृत्यु होती है उस तारीख को श्राद्ध किया जाता है।
पितृपक्ष 2021:
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
श्राद से जुड़ी ये पौराणिक कथा
चलिये जान लेतें हैं श्राद से जुड़ी ये पौराणिक कथा के बारे में कहा जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का देहांत हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें खाना देने की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दे दिये हैं । इस बात से नाराज होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किये. लेकिन कभी भी आपने अपने पूर्वजों को खाना नहीं दिया। तब कर्ण ने कहा कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानते थे और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों के लिए धरती पर भेज दिया । ताकि वो अपने पूर्वजों को खाना दे सके। तभी से पितृपक्ष मनाया जाता है।
अपने पूर्वजों की इच्छा के हिसाब से दान-पुण्य का करें, दान में गौदान करना चाहिए। इसके बाद घी, चांदी, पैसा, फल, नमक, तिल, सोना कपड़े, और गुड़ का दान करें।.
अगर आप अपने पितरों को खुश करना चाहते हैं तो इन सभी बातों का ध्यान रखें, उनकी पसंद की चीजों का दान करें। नये कपड़े लेने से बचे। जितना हो सके दान करें इन 16 दिनों तक ।