हर इंसान महालक्ष्मी को प्रसन्न करने की कोशिश करता है। ताकि मां लक्ष्मी का आर्शीवाद मिल सके. क्या आप जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान भी महालक्ष्मी व्रत का किया जाता है।
जो की गजलक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के गजलक्ष्मी के स्वरूप की पूजा की जाती है। बता दें कि इस बार इस व्रत को 28 और 29 सितंबर को मनाया जायेगा।
इस दिन मिट्टी के गज बनाकर या फिर चांदी की हाथी की मूर्ति लाकर भी पूजा कर सकते हैं। तो चलिये जानते हैं कि इस दिन आपको गजलक्ष्मी की पूजा कैसे करनी चाहिये. और किस उपाय को करने से आपको मां का आर्शीवाद मिल सकता है।
व्रत की पूजा विधि
महालक्ष्मी की पूजा करने के लिए शाम को लक्ष्मी जी की पूजा करने वाली जगह को गंगा जल से साफ करें। उसके बाद रंगोली बनाकर आटे या हल्दी से चौक पूरें। अब एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर, इसके पास एक कलश गंगा जल से भरा हुआ रखें।
अब चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति और हाथी की मूर्ति रखें। पूजा में सोने की चीज और फूल, फल मिठाई और पंच मेवे भी चढ़ाएं जरुर शामिल करें। अब इसके बाद कथा पढ़कर आरती करें।
पितृ पक्ष की अष्टमी के दिन किसी भी ब्राह्मण सुहागन स्त्री को सोना,कलश, आटा, शक्कर और घी भेंट करें। इसके अलावा किसी कुंवारी कन्या को नारियल, मिश्री, मखाने और हो सके तो चांदी का हाथी भेंट करें।
अगर आप इन सब बातों का ध्यान रखते हैं तो महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। और उनका आर्शीवाद हमेशा बना रहता है।