आज पितृ पक्ष का चौथा दिन है जिसे चतुर्थी श्राद्ध 2021 के नाम से जाना जाता है. इस दिन, परिवार के लोग उस पूर्वज के लिए श्राद्ध करते हैं, जिसकी मृत्यु किसी भी महीने के दो चंद्र पक्ष में से किसी एक की चतुर्थी के दिन हुई थी।
आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिनों को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।
चतुर्थी श्राद्ध की तिथि और समय
चतुर्थी तिथि 24 सितंबर सुबह 08:29 बजे से शुरू हो रही है
तृतीया तिथि 25 सितंबर को सुबह 10:36 बजे समाप्त होगी
कुटुप मुहूर्त – 11:48 सुबह – 12:37 दोपहर
रोहिना मुहूर्त – दोपहर 12:37 बजे – दोपहर 01:25 बजे
अपर्णा काल – 01:25 दोपहर – 03:50 दोपहर
सूर्योदय 06:10 सुूबह
सूर्यास्त 06:15 शाम
पितृ पक्ष श्राद्ध में कुटुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त को श्राद्ध करने के लिए काफी अच्छा माना गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यमपुरी के लिए आत्मा की यात्रा मृत्यु के तेरह दिनों के बाद शुरू होती है। ये वहां सत्रह दिन बाद पहुंचती है, यम के दरबार में पहुंचने के लिए आत्मा ग्यारह महीने की यात्रा करती है। इस दौरान भोजन और पानी पिंडदान और तर्पण किया जाता है ।
चतुर्थी श्राद्ध के नियम
- आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिनों को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। बता दें इन दिनों अपने पूर्वजों को याद करने के लिये उनका श्राद्ध किया जाता है। तर्पण और पिंडदान परिवार के किसी सदस्य को ही करना चाहिये ।
2. साथ ही श्राद्ध सही विधि से ही करना चाहिए।
3. पहले गाय को, फिर कौवे, कुत्ते को खाना खिलाना चाहिये, बता दें कि कौवे को पूर्वजों के साथ जोड़ा गया है। इसलिये कौओं को जरुर खाना खिलायें तभी आपका श्राद पूरा माना जाता है।
4. ब्राह्मणों को भोजन करायें उन्हें दक्षिणा और कपड़े भी दान दें।
5. साथ ही हो सके तो अनाथालय और वृद्धाश्रम में खाना दें।
इन नियमों का पालन करके आप अपने पूर्वजों का आर्शीवाद पा सकते हैं।