शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनायी जाती है। इस बार अनंत चतुर्दशी 19 सितबंर को मनायी जाने वाली है। साथ ही कल गणेश जी को भी विदाई दी जायेगी।
आपको बता दे कि इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। और उनका व्रत भी किये जाने का शास्तों में विधान है। इस दिन पूजा के दौरान धागा भी बांधा जाता है जिसे अनंत डोर भी कहा जाता है। बता दें कि इस धागें की खास बात ये होती है कि इसमें 14 गांठें होती हैं। चलिये जान लेते हैं इस धागे के बारे में कि ये क्यों बांधा जाता है।
ये धागा रेशम से ही बनता है, जिसे आदमी अपने दाहिने हाथ पर बांधते हैं और महिलायें बाएं हाथ में बांधती हैं। बता दें कि इस धागें को पूजा करने के बाद ही बांधा जाता है।
14 गांठों वाला अनंत सूत्र का महत्व:
ऐसा माना जाता है कि डोर में बंधी चौदह गांठें अलग-अलग लोकों की होती हैं। जो पूरे चौदह साल तक सभी नियम से पूजा पाठ करके चौदह गांठ वाला सूत्र बांधता है उसे विष्णु लोक में जानें का सौभाग्य मिलता है। कहा जाता है कि जब पाण्डव जुये में अपना सारा राज-पाट हारने के बाद जंगल में भटक रहे थे.। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी के व्रत के हारे में बताया। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी ने इस व्रत को नियम के अनुसार किया। और अनंत सूत्र बांधा। अनंत चतुर्दशी व्रत के व्रत से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और पांडवों के जीवन से सारे दुख दूर हो गये।