नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के लीला होटल में किए गए नॉर्थ-ईस्ट डेवलपमेंट कॉन्क्लेव में उत्तर पूर्व को विकास को लेकर कई अहम मसलों को साझा किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर के सभी राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में निवेशकों के प्रश्नों का जवाब और राज्य की संभावनाओं के संबंध में जानकारी दी गयी। आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश और व्यापार की संभावनाओं में जो निवेशक निवेश करना चाहते हैं या व्यापार की नई संभावनाओं को तलाश रहे हैं उनके लिए इस कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया था
इस मौके पर उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेके सिंहा ने पूर्वोत्तर राज्यों में कनेक्टीविटी के मुद्दों को लेकर चर्चा की। उन्होंने अन्य राज्यों की तुलना में यहां हवाई कनेक्टीविटी काफी पीछे है। जहां अगरतला से गुवाहाटी के बाच सिर्फ दो फ्लाईट्स हैं। वहीं कई राज्यों के लिए कोई डायरेक्ट फ्लाई़ट ही नहीं है। हालांकि उड़ान 2 में इस अंतर को कम करने की कोशिश की जाएगी। कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द राज्यों में फ्लाईटों की संख्या में इजाफा किया जाए ताकि लोगों को इस तरह की परेशानियों से जल्द से जल्द निजात मिल सके।
जेके सिन्हा ने इस दौरान डिजीटल कनेक्टीविटी पर भी बात की। उन्होंने कहा कि यहां हवाई कनेक्टीविटी की तरह डिजीटल कनेक्टीविटी भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। लेकिन उसे भी बहुत जल्दी ही बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी।
इसके अलावा इस दौरान गैर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग के यातायात सदस्य शशि भूषण ने भी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए किए जा रहे विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हम पूर्वोत्तर के विकास को लेकर कृतसंक्लपित हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व के लिए 20 वाटर बेस हैं। हम सब जानते हैं कि नटर्थ ईस्ट राज्यों में पानी की काफ मात्रा है। बांग्लादेश के साथ एख एग्रीमेंट साइन किया गया है। इस इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल एग्रीमेंट में ब्रहम्पुत्रा के साथ बांग्लादेश की मेघना और पद्मावती रिवर को सुंदरवन से हल्दिया के रास्ते से जोड़ने की बात की गई है। जिसके जरिए कोलकाता और हल्दिया पोर्ट्स का विकास किया जा रहा है। नॉर्थ ईस्ट इन मेजर पोर्ट के जरिए भारत को कनेक्ट किया जाएगा। वर्तमान समय में हमारे पास सिर्फ सिलिगुडी कनेक्टीविटी है।
इसके अलावा बराक नदी को बांग्लादेश कि कुशयारी नदी से जोड़ा जाएगा। इसके बाद कुशयारी नदी को मेघना नदी से जोड़ा जाएगा,जोकि सीधा जाकर हस्दी वन से मिलेगी। इसके सभी नदियां आपस में मिल जाएगी और फिर 20 वाटर बेस विकसीत किए जाएंगे।