देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस जहां पार्टी के अन्दर चल रही कलह के बाद अब प्रमुख विपक्ष दल भाजपा में भी पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। पहले कांग्रेस के बागियों के लेकर पार्टी में उठापटक का दौर चला अब उत्तराखंड बीजेपी के टॉप लीडर पार्टी में उपेक्षा के चलते खफा बताये जा रहे हैं। खंडूरी और कोश्यारी जैसे दिग्गज अपनी नाराजगी खुले मंच से कई बार जता चुके हैं।
सूत्रों की माने तो आरएसएस आपसी मंथन कर इस बात पर जोर देना की कोशिश में है कि अगर पार्टी को मौजूदा कांग्रेस सरकार के मुकाबले और मजबूती से खड़ा करना होगा तो खंडूरी और कोश्यारी के बिना ये संभव नहीं है। भाजपा भी संघ की इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखता है कि खंडूरी, कोश्यारी और निशंक के त्रिगुट को बनाये बिना देवभूमि में सत्ता की चाबी मिलना मुश्किल है।
पार्टी सूत्रों की माने तो खंडूरी और कोश्यारी अपनी अपेक्षा के चलते प्रदेश कार्यकारणी के लगातार नाराज चल रहे हैं. इन दिग्गजों ने अपनी नाराजनी को बीजेपी कार्यसमिति के मंच पर हाल में ही साझा भी किया है। पार्टी के लिए इन दो बड़े नामों की अहमियत कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही मंडलों के लिए खासा है और अब जब नये लोगों की एंट्री पार्टी में होने के बाद इन बड़े चेहरे की उपेक्षा बढ़ने से पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं में नाराजगी का अंकुरण होना स्वभाविक हो गया है। पार्टी अब अपने बूथ कार्यकर्ताओं को इन चेहरों के जरिये एक बार फिर लाइनअप करने की फिराक में लगी है।
क्योंकि हाल में हुए संघ और बीजेपी के सर्वे ने साफ किया कि बिना अपने दिग्गजों के पार्टी अपनी मंजिल आसानी से नहीं पा सकती। क्योंकि जहां खंडूरी का जनता के बीच खासा प्रभाव है वही पार्टी संगठन पर कोश्यारी का लिहाजा पार्टी अब इन चाणक्यों को देख प्रदेश में पार्टी का चेहरा तय करने में कतरा रहा है।