नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के असर और भारत के ऑर्थिक विकास को लेकर अपना भरोसा जताया। पटेल ने कहा कि आज भले ही हमें ऑर्थिक विकास रुका-सा लग रहा है, लेकिन आने वाले समय में हम बेहतर और संस्थागत विकास की ओर कदम बढ़ाएंगे। इसी तरह नोटबंदी एक ऐसा फैसला था, जिसने बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से संयोजित करने में मदद की गई।
बुरी नहीं 7.5 फीसदी ग्रोथ रेट:-
एक समाचार चैनल से बात करते हुए उर्जित पटेल ने कहा कि 7.5 फीसदी ग्रोथ रेट कोई बुरी नहीं है। हम भारत की विकास दर को 09 फीसदी करने की लोगों की आकांक्षा का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि हमारा विकास संस्थागत तरीके से मजबूती लिए हुए हो। पटेल ने विनिर्माण सेक्टर के लिए भूमि और श्रम क्षेत्र में सुधारों की वकालत की। दरअसल केंद्रीय बैंक से कर्ज दरों में कटौती की आस लगाए लोगों के लिए हालिया मौद्रिक नीति घोषणा में खुश होने के लिए कुछ नहीं था। इतना ही नही इस पर कारोबारी जगत से लेकर सेक्टर एक्सपर्ट्स ने केंद्रीय बैंक की नीति को लेकर नाखुशी जाहिर की थी, बावजूद इसके आरबीआई गर्वनर केंद्रीय बैंक के एजेंडे पर कायम दिखे। पटेल ने फिर दोहराया कि बिना लगाम की ऊंची छलांग से बेहतर है कि हम सधे कदमों से चले।
आने वाले समय में भारत की विकास दर बढ़ने, देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने और घरेलू बाजार का आर्थिक वातावरण बेहतर होने को लेकर आरबीआई गर्वनर आशांवित दिखे।
बजट में रिफॉर्म पर ध्यान रखना सरकार की दूरदर्शी सोच का नमूना:-
पटेल ने बताया कि जिस तरह से इस बार के आम बजट में सरकार ने कोर सेक्टर में रिफॉर्म को ध्यान रखा है, वो एक दूरदर्शी सोच का संकेत है। हमें अपने भविष्य को बेहतर करने के लिए संस्थागत सुधारों पर काम करना होगा, ना कि लोकप्रिय जुमलों पर। आरबीआई गर्वनर ने बताया कि पिछले पांच महीनों में भारत का अंर्तराष्ट्रीय व्यापार संतुलन की ओर बढ़ा है, जिसमें भारत का निर्यात देश में हो रहे आयात के मुकाबले संतुलन की स्थिति में आ रहा है।