लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना की मांग को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। यूपी में आजाद समाज पार्टी इस मुद्दे को लेकर मुखर हो गई है। आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के निर्देश के बाद कार्यकर्ताओं ने डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपा है। लखनऊ में सोमवार को ज्ञापन देने जा रहे आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं की पुलिस से नोंकझोंक भी देखने को मिली।
आजाद समाज पार्टी की ओर से पूरे प्रदेश के सभी जिलों में डीएम को ज्ञापन सौंपा गया। कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि अगर जातीय जनगणना नहीं होती है तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा। डीएम के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में आसपा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि 2021 में जातीय जनगणना नहीं होगी। कार्यकर्ताओं ने इस बयान को पिछड़ा और वंचित विरोधी करार दिया है।
आजाद समाज पार्टी के यूपी कोषाध्यक्ष कमलेश कुमार भारती ने कहा कि जातीय जनगणना बेहद जरूरी है। आबादी के अनुसार ही सबको भागीदारी मिलनी चाहिए। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने जितनी जिसकी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा भी लगाया। साथ ही बीजेपी सरकार पर निशाना भी साधा।
कमलेश कुमार भारती ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जातीय आधार पर जनगणना नहीं कराई गई तो वो बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनके दबाव पर ही सरकार ने नीट का आरक्षण बहाल किया था। अब जातीय जनगणना भी वो कराकर ही दम लेंगे।
जिलाध्यक्ष अजय कुमार आनंद ने कहा कि जातीय जनगणना होने से सभी वर्गों का विकास सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को पिछड़ा कहते हैं। हर जगह पर ओबीसी बताते हैं, लेकिन जातीय जनगणना कराने से पीछे हट रहे हैं। यह देश का दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा कि इससे हाशिए पर खड़े समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि साल 2011 में जनगणना कराई गई लेकिन उसे जारी नहीं किया गया। सरकार ने जनता के करोड़ों रूपए के टैक्स को बर्बाद कर दिया है।