नई दिल्ली। देश में वंदे मातरम बोलने के खिलाफ बुलंद होती आवाज के बीच दिल्ली विश्विद्यालय दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज का नाम बदलकर वंदे मातरम महाविद्यालय किए जाने पर विचार कर रहा है। ये फैसला कॉजेल की गवर्निंग बॉडी कर रही है हालांकि, कॉलेज का नाम तब बदलेगा जब उसे मॉर्निंग कॉलेज कर दिया जाएगा। कॉलेज का नाम बदलने के पीछे की वजह ये है कि दयाल सिंह मार्निंग कॉलेज पहले से ही चल रहा है इसलिए इवनिंग पूरी तरह से मार्निंग कॉलेज हो जाएगा तो उसका नाम बदलकर वंदे मातरम महाविद्यालय कर दिया जाएगा।
बता दें कि दयाल सिंह कॉलेज की स्थापना 1958 में की गई थी और इसे डीयू के पहले इवनिंग कॉलेज का दर्जा प्राप्त है। कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन और बीजेपी के नेता अमिताभ सिन्हा ने कहा कि कॉलेज का नया नाम भारता माता के सम्मान में रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि गवर्निंग बॉडी के नाम बदलने का प्रस्ताव डीयू के वाइस चांसलर को भेज दिया गया है, जोकि जरूरी कार्रवाई करके औपचारिक सहमति देंगे। दयाल सिंह सांध्य कॉलेज के प्रिंसिपल को 21 सितंबर को एक्जिक्यूटिव काउंसिल से एक नोटिफिकेशन मिला था जिसके अनुसार कॉलेज को फुल फ्लेज्ड डे कॉलेज में बदलने की अनुमति दे दी गई थी।
बताते चलें कि पहले कॉलेज का नाम मदन मोहन मालवीय कॉलेज रखे जाने पर भी विचार हो रहा था। इसका वर्तमान नाम दयाल सिंह मजीठीया के नाम पर रखा गया है। दयाल सिंह ने ही अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की 1881 में और पंजाब नेशनल बैंक की 1894 में शुरुआत की थी। कॉलेज के मुताबिक दयाल सिंह ने साल 1895 में एक शौक्षणिक ट्रस्ट भी बनाया गया था, जोकि पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष कॉलेज होगा। बाद में इसी ट्रस्ट ने दयाल सिंह कॉलेज की स्थापना कर दी। मदन मोहान मालवीय कॉलेज की बजाए दयान सिंह कॉलेज का नाम वंदे मातरम महाविद्यालय रखने का कारण बताते हुए अमिताभ सिन्हा ने बताया कि मालवीय जी जिसके बच्चे थे हम उन्ही को प्रमाण कर रहे हैं। मां का दर्जा सबसे ऊपर होता है और उन्हें प्रणाम करना हमारा फर्ज है।