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दिल्लीः सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िता पर पुलिस डाल रही समझौते का दबाव

प्रतीकात्मक फोटो

दिल्लीः उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक 23 वर्षीय महिला द्वारा उसके साथ गैंगरेप कर जबरन बंधक बनाने का मामला 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली महिला आयोग में दर्ज कराया गया है। पीड़िता यूपी के बांदा स्थित बबेरू थानाक्षेत्र के मर्का थाने की रहने वाली है। ससुराल वालों से किसी बात पर विवाद होने के बाद उसके रिश्ते का देवर शिवचरण उसे मायके पहुंचाने के नाम पर बहला-फुसलाकर अपने एक साथी सूरजदीन के पास ले गया, जहां पहली बार उसका गैंगरेप किया गया।उसके बाद यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा, मगर किसी एक जगह नहीं, दर्जनों जगह।उसके साथ रोज  धमकियां देकर  बलात्कार किया जाता रहा।

 

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पहली बार एक महीने तक उसे बंधक बना रोजाना उसका बलात्कार किया गया। बाद में उसका एक महिला के हाथों 30 हजार रुपए में उसका सौदा कर दिया। उसके बाद वह महिला कितने लोगों के हाथों बिकी और कितनों ने उसके जिस्म को रौंदा।यह सिलसिलेवार कहानी  पीडिता ने कथित चिट्ठी पर खुद बयां की है।

समाजसेवी संगठन दिलाएंगे पीड़िता को इंसाफ

समाजसेवी संगठन  ‘‘नारी इंसाफ सेना” और “बुंदेलखंड आजाद सेना” ने युवती को न्याय दिलाने के लिए  “बंधुआ मुक्ति मोर्चा” के  साथ  तमाम प्रयासों के बाद पीड़ित महिला की कहानी दिल्ली महिला आयोग तक पहुंचायी है। नारी इंसाफ सेना  और बुंदेलखंड आजाद सेना  के कार्यकर्ता  पीड़िता को दिल्ली लेकर आए हैं। ताकि न्याय के लिए दर-दर भटक रही महिला को न्याय मिल सके। अब उक्त संगठन के साथ बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने भी पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए कमर कस ली है।

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पीड़िता ने 13 दिसंबर 2018 को दिल्ली महिला आयोग के नाम भेजे शिकायती पत्र में पीड़िता मंजू (बदला हुआ नाम) ने दिल्ली के रानीबाग थाना इंचार्ज के पास खुद पर हुए जुल्मों की शिकायत दर्ज करवानी चाही तो पुलिस वालों ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसी का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। पुलिस वालों ने मंजू पर दबाव डाला कि वह आरोपियों से कुछ पैसे लेकर मामला रफा-दफा कर ले। जब महिला ने पुलिस की यह बात मानने से मना कर अपराधियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने की मांग की तो पुलिस ने न सिर्फ उसके साथ गाली-गलौच की, बल्कि उस पर लगातार दबाव डालते रहे।

संबंधियों के झांसे में आ जिस्म के सौदागरों के हाथों महीनों प्रताड़ित हुई मंजू ने दिल्ली महिला आयोग से गुजारिश की है कि उसने पत्र में जिन-जिन जगहों और व्यक्तियों का जिक्र किया है वहां छापे मार उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई करे, ताकि कई मासूम जिंदगियों को नरक से छुटकारा दिलाया जा सके। इसके लिए मंजू ने कुछ आरोपियों के मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराए हैं, ताकि आरोपी बचकर निकल न पाएं।

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‘बंधुआ मुक्ति मोर्चा’ के मुताबिक उक्त केस के आलोक में Lalita Kumari. v/s Govt. Of U.P. & Ors मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों पर गौर करना चाहिए कि “Registration of FIR is Mandatory under Section 154 of the Code, if the information discloses commission of cognizable offence and no preliminary inquiry is permissible in such a situation. पीड़िता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि वह बहुत बद्तर स्थितियों से बाहर निकली है। उसके साथ हुआ अपराध अत्यधिक घृणित और जघन्य है  और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।

गौरतलब है कि जिस्म के इस धंधे में कई प्रभावशाली एवं दबंग लोग शामिल हैं। इसलिए इस केस में अपराधियों के खिलाफ तुरन्त एफआईआर दर्ज कर उनकी जल्द से जल्द गिरफ्तारी बहुत जरूरी है।गौर करने वाली बात यह भी है कि इस घृणित अपराध में आरोपियों को पुलिस का पूरा साथ मिल रहा है, जिसके चलते अपराधियों का हौसला बुलंद है। इसमें एक राज्य की पुलिस नहीं बल्कि दिल्ली और यूपी पुलिस दोनों की भूमिका संदिग्ध रही है।

अगर बलात्कारियों पर पुलिस द्वारा तुरंत एक्शन ले लिया जाता तो दिल्ली के डरावने और दिल दहलाने वाले निर्भया कांड जैसे अपराधों को बढ़ावा नहीं मिलता। इस मामले में भी पीड़ित महिला मंजू के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने सहयोग करने और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने के बजाय उल्टा उस पर डरा-धमका कर समझौता करने के लिए दबाव डाला गया।

रानी बाग थाने में पुलिस की प्रताड़ना का विवरण

रानी बाग थाने में पुलिस द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार  का विवरण, पीड़िता मंजू के मुताबिक ‘उपरोक्त संदर्भ में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने के संदर्भ में मैं दिनांक 14 दिसंबर 2018 को रानी बाग पुलिस थाना में गई, लेकिन वहां की पुलिस ने मेरी कुछ भी नहीं सुनी। उल्टा मुझे ही डांटते-फटकारते रहे कि तू खुद ही गलत है और तू केवल पैसे के लिए इन सब ईमानदारों को फंसा रही है।तू नहीं जानती है कि इनकी कितने ऊंचे तक पकड़ है। तू इनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी, ये सब बहुत पैसे वाले हैं। तू खूद ही बर्बाद हो जायेगी। फिर मैंने कुछ कहना चाहा परन्तु सभी ने मिलकर मुझे डराया धमकाया।’

महीनों तक बलात्कार झेलती रही मंजू के मुताबिक, ‘उसके बाद तुलसी और अनिल गुप्ता को पुलिस ने थाने में बुलाया और उनसे अलग से पहले बात की। उसके बाद पुलिस ने मेरे पास आकर कहा कि 50 हजार तुलसी से और 60 हजार अनिल गुप्ता से दिलाते हैं। और पुलिस ने एक कागज पर जबरदस्ती बोल-बोलकर मुझसे लिखवाया, ” अनिल गुप्ता और तुलसी ने मेरे साथ कोई गलत काम नहीं किया और मै यह पत्र अपनी मर्जी से लिख रही हूं”।

पीड़िता ने कहा कि मुझ पर दबाव डाला कि यह लिखो और साईन करो। समझौता करो जल्दी, तेरा बहुत हो गया सुबह से सुनते-सुनते। फिर मेरे से पुलिस ने साईन करवाये और मेरे ससुर को साइन करने के लिए बुलाया तो उन्होंने समझौता पत्र पढ़कर मना कर दिया। ससुर के मना करने पर पुलिस ने उनको गाली देते हुए भगा दिया और कहा कि तेरे खिलाफ उल्टा मुकदमा दर्ज करते हैं। ससुर को वहां से भगाने के बाद पुलिस ने मुझे कमरे में बंद कर कहा कि अपने ससुर का भी हस्ताक्षर कर, नहीं तो तुझे भी अभी ठीक करते हैं।

 

महेश कुमार यादव

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