देहरादून। प्रदेश को खनन मुक्त बनाने के लिए एक के बाद एक हाईकोर्ट फैसले सुना रहा है। पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को गंगा किनारे हो रहे अवैध खनन पर एक्शन लेने के लिए निर्देश दिए और फिर हाइवे के किनारे बनी शराब की दुकानों पर ताले लगाने का आदे सुना दिया। कोर्ट ने आदेश दिया तो राज्य सरकार अपने काम में भी लग गई लेकिन काम में लगते ही राज्य सरकार को इसका एक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
दरअसल खनन और आबकारी राजस्व ना आने के कारण प्रदेश सरकारी खजाने की हालात बिगड़ती जा रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर हालातों में परिवर्तन नहीं हुआ तो इससे नए वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में करीब 500 करोड़ की कटौती तय है।
नेशनल व स्टेट हाइवे से दुकानों की शिफ्टिंग में पेश आ रही दिक्कतों के चलते आबकारी से होने वाली आमदनी में ही चालू महीने में तकरीबन 200 करोड़ का बड़ा घाटा होने से सरकार की हालात खराब है। राजस्व को लगातार नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार को प्रदेश की जनता से मिलने वाले टैक्स का 19 प्रतिशत सिर्फ आबकारी राजस्व प्राप्त हो जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही इसका कोई दूसरा उपाय नहीं ढूढ़ा गया तो इसका असर राज्य में होने वाले विकास कार्य पर देखने को मिल सकता है।