चेन्नई: चेन्नई में बुधवार से शुरू हुए डिफेंस एक्सपो-2018 में भारत के साथ मालदीव और चीन के तल्ख़ रिश्तों की झलक एक बार फिर दिखाई दी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन में शामिल होने के लिए मालदीव को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उसने एक्सपो के आयोजकों के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
चेन्नई में समुद्र के किनारे चार दिन तक चलने वाले इस डिफेंस एक्सपो में अपने देश द्वारा स्टाल न लगाए जाने के पीछे मालदीव ने स्पष्ट रूप से कोई कारण तो नहीं बताया लेकिन इसे फरवरी माह में हुए घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। फरवरी माह में भारत में मालदीव के राजदूत ने यहां एक नौसैनिक अभ्यास में शामिल होने के भारत के निमंत्रण को अपने देश में आपातकाल की स्थिति की वजह से खारिज कर दिया था। हालांकि उस समय उन्होंने कहा था कि दोनों देशों का उत्कृष्ट रक्षा और सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास है और यह परंपरा चलती रहेगी लेकिन इस वायदे के दो माह बाद ही हो रहे डिफेंस एक्सपो में शामिल न होकर उसने अपनी नाराने का प्रयास किया है।
उल्लेखनीय है कि मालदीव ने 6 मार्च से भारत में हुए आठ दिन के नौसैनिक अभ्यास ‘मिलन’ में शामिल होने का भारत का निमंत्रण इसलिए ठुकरा दिया था, क्योंकि भारत ने मालदीव में आपातकाल के लिए यामीन सरकार की आलोचना की थी। इसी तरह चीन को भी डिफेंस एक्सपो में शामिल होने का न्योता भेजा गया था लेकिन चीन ने तो अब तक कोई औपचारिक जवाब भी नहीं भेजा है।
जब इस बारे में रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता राजश्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने दुनिया के सभी देशों को डिफेंस एक्सपो में शामिल होने का न्योता भेजा था जिसमें करीब 47 देशों का प्रतिनिधिमंडल आया है और तमाम देशों ने यहां आकर अपने स्टाल लगाए हैं। जो देश हमारे बुलावे पर यहां आये हैं, हम उनके बारे में चिंता कर रहे हैं। जो नहीं आया उसके बारे में चिंता करने की क्या जरूरत है? मालदीव के न आने पर उन्होंने कहा कि उनके देश में रक्षा उपकरणों की न ही फैक्ट्रियां हैं और न ही कोई उपकरण बनाने के संसाधन। फिर भी सारे देशों के साथ उन्हें भी न्योता भेजा गया था। रक्षा उपकरणों और हथियार निर्माण के मामले में चीन के मजबूत होने के बावजूद न आने पर उन्होंने कोई भी जवाब देने से इनकार कर दिया।