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मानहानि केस: पीएम का नाम नहीं घसीट सकते जेठमलानी

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि केस में जेठमलानी को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का नाम घसीटने की इजाज़त नहीं मिली है। केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का ये केस वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा दर्ज किया गया है जिसमें केजरीवाल की पैरवी सीनियर वकील राम जेठमलानी कर रहे हैं। जेठमलानी ने जब अपना क्रॉस इग्जैमिनेशन जारी रखते हुए जेटली से पूछा कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछकर या उनसे सलह मशविरा कर के ये केस दर्ज कराया है और क्या  इसके लिए वो पीएम को अपने बचाव में गवाह बनाना चाहते हैं?

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बता दें कि अरूण जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ ये केस 10 करोड़ को लेकर किया था। जिसमें जेठमलानी ने जेटली से पूछा कि चूंकि आप कैबिनेट मंत्री हैं तो आपके लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र गवाह प्रधानमंत्री को ही होना चाहिए। क्या आप उन्हें गवाह के तौर पर पेश करना चाहेंगे? इस पर जेटली के वकील राजीव नायर और  संदीप सेठी द्वारा सवाल का विरोध किए जाने पर  संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि इस  सवाल को अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि इस केस में जेटली के गवाहों की सूची पहले से ही रेकॉर्ड में हैं।

वहीं जेठमलानी ने जब जेटली से यह पूछा कि क्या उन्होंने यह केस दायर करने से पहले पीएम मोदी से सलाह ली थी तो मंत्री के वकील ने इस सवाल की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किए। अदालत ने भी इसे स्वीकार किया। संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि इस सवाल को अनुमति नहीं दी जाती क्योंकि इसका इस मामले के मुद्दों से कोई संबंध नहीं है।

गौरतलब है कि साल 2013 में भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित किये गये जेठमलानी ने कोर्ट में दो घंटे की कार्यवाही के दौरान जेटली से डीडीसीएम में कथित तौर पर 57 करोड़ रुपये के गबन से जुड़े सवाल भी पूछे। जेटली ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि यह पैसा खेल के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च किया गया था और इसका पूरा हिसाब मौजूद है।

साथ ही डीडीसीए में कथित आर्थिक अनियमितताओं को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि जेटली के डीडीसीएम का अध्यक्ष रहने के दौरान कई घोटाले हुए थे। इसी के खिलाफ जेटली ने केजरीवाल पर मानहानि का केस दायर किया था। इस केस में उनके वकील राम जेठमलानी की फीस सरकारी खजाने से दिए जाने को लेकर भी काफी विवाद हुआ था।

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