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sc का फैसला आने के बाद 10-50 उम्र की 51 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करके भगवान अयप्पा के दर्शन किए

scc sc का फैसला आने के बाद 10-50 उम्र की 51 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करके भगवान अयप्पा के दर्शन किए

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 10-50 उम्र की 51 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करके भगवान अयप्पा के दर्शन किए हैं। केरल सरकार ने हलफनामा दाखिल करके चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि मंदिर में प्रवेश करने वाली 10-50 उम्र की सभी महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। सरकार ने यह बात तब कही जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस को आदेश दिया कि 2 जनवरी को मंदिर में प्रवेश करने वाली दोनों महिलाओं को 24 घंटे सुरक्षा घेरे में रखा जाए। इनमें से एक महिला ने कोर्ट को बताया था कि मंदिर में प्रवेश के बाद सास ने उसकी पिटाई की थी।

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बता दें कि चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि उनकी चिंता केवल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर है। याचिका के अन्य पहलुओं पर वे अभी विचार नहीं करने जा रहे। बेंच ने पेशे से शिक्षक 42 वर्षीय बिंदू और सीपीआई (एमएल) की कार्यकर्ता 44 वर्षीय कनकदुर्गा को कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने को कहा। बेंच में जस्टिस एलएन राव और दिनेश महेश्वरी भी शामिल थे। कोर्ट का कहना था कि सरकार अगर पहले से उन्हें सुरक्षा दे रही है तो इसे जारी रखने में कोई नुकसान नहीं है। सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सबरीमाला से जुड़े सारे मामलों को एक करने की अपील कोर्ट से की, लेकिन चीफ जस्टिस की बेंच ने उनकी मांग को खारिज कर दिया।

वहीं सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले लोगों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदमपारा ने कहा कि मंदिर के पवित्र स्थान में किसी महिला ने प्रवेश नहीं किया है। महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने मंदिर को बंद करके उसका शुद्धिकरण कराया था। याचिका में महिलाओं ने शुद्धिकरण पर अपना विरोध दर्ज कराया। उनका कहना था कि इससे ऐसा लगता था कि जो महिलाएं मंदिर में गई थीं, वो अशुद्ध हैं। उनका कहना था कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई कि कोर्ट आदेश जारी करे कि मंदिर में 10-50 उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाना पूरी तरह से गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट में ऐसी 48 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें मांग की गई है कि अदालत अपने फैसले पर पुर्नविचार करे।

साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस तरह की याचिकाओं पर 22 जनवरी से सुनवाई हो पानी मुश्किल है, क्योंकि 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच की एक जज मेडिकल लीव पर हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुर्नविचार याचिकाओं पर ओपन कोर्ट में सुनवाई करने की बात कही थी। 28 सितंबर को 4-1 के बहुमत से बेंच ने फैसला दिया था कि किसी भी उम्र की महिला सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर सकती है। फैसला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सुनाया था। बेंच में चीफ जस्टिस के अतिरिक्त जस्टिस एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड और आरएफ नरीमन भी शामिल थे।

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