नई दिल्ली। सरकार द्वारा आए दिन यातायात नियमों में परिवर्तन किया जाता है। इसके साथ ही सरकार द्वारा वाहनों पर फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार का उद्देश्य टोल प्लाजा पर कैश पेमेंट को खत्म करना है। इसके लिए एक लेन को छोड़ कर बाकी सभी लेन फास्टैग लेनदेन के लिए रिज़र्व कर दी गई हैं है। यदि कोई भी वाहन इस लेन में बिना फास्टैग के पाया जाता है तो मालिक को सामान्य टोल शुल्क की दोगुनी राशि का भुगतान करना होगा। वहीं सरकार ने फास्टैग को अनिवार्य करने की डेडलाइन को 15 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले ये डेडलाइन 31 दिसंबर थी। अब सड़क परिवहन मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क पर टोल शुल्क के फास्टैग के माध्यम से 100 फीसदी कलेक्शन के लिए समय सीमा को 15 फरवरी तक आगे बढ़ा दिया है। एनएचएआई ने पहले 1 जनवरी 2021 से पूरी तरह से फास्टैग के माध्यम से ही टोल चार्ज लेने का ऐलान किया था।
टोल प्लाजा पर फास्टैग पेमेंट की हिस्सेदारी 75-78 फीसदी के बीच है-
बता दें कि फास्टैग की डेडलाइन को इसलिए आगे बढ़ाया गया है क्योंकि बहुत से लोग अभी भी राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल भुगतान के लिए कैश का उपयोग करते हैं। इस समय टोल प्लाजा पर फास्टैग पेमेंट की हिस्सेदारी 75-78 फीसदी के बीच है। मतलब 22 फीसदी लोग अभी भी कैश का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपकी कार जैसे ही वाहन टोल बूथ से गुजरेगी फास्टैग स्कैन होगा और टोल गेट पर प्रतीक्षा किए बिना ही टोल चार्ज स्वतः कट जाएगा। परिवहन मंत्रालय के नए आदेश के बाद अब उन वाहनों को फ़िलहाल और समय मिल जाएगा जिन्होंने अभी तक FASTag नहीं लिया था। सरकार का इरादा राष्ट्रीय राजमार्गों पर नकद लेन-देन खत्म करना है और इसीलिए जनवरी 2021 से सभी वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया था, मगर फिलहाल इस फैसले को बदल दिया गया है। फास्टैग को एनएचएआई ने पेश किया था। ये कार की विंडशील्ड पर चिपकाए जाने वाला एक तरह का स्टिकर है जिससे टोल प्लाज़ा पर टोल शुल्क ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक रूप से कलेक्ट होता है।