GJM (गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा) के द्वारा दार्जिलिंग में बंद का ऐलान करने के बाद हिंसा भड़क गई। हिंसा को बढ़ता देख पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। ऐसे में बंद का ऐलान करने के बाद पहले ही दिन कई सारे सरकारी कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई है। जानकारी के अनुसार GJM के कार्यकर्ताओं ने कई सारे पर्यटकों की गाड़ी का रास्ता रोक दिया था ऐसे में उनका कहना था कि बंद का आह्वान होने के कारण कोई वाहन यहां से नहीं जाएगा। वही बंद के कारण सभी दुकानें और बाजार बंद कर दिया गया। जिससे आम लोगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस दौरान सुभाष चंद्र बोस के परपोत्र चंद्र कुमार बोस ने गोरखा लोगों के इस आंदोलन का समर्थन किया है। उनका कहना है कि नेताजी के साथ मिलकर गोरखा लोगों ने आजादी के लिए लड़ाई में उनका साथ दिया था इसलिए गोरखा लोगों को उनका हक मिलना चाहिए। गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा की ओर से सोमवार को अनिश्चितकाली बंद का आह्वान किया गया था। दार्जिलिंग में सरकारी और GTA(गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन) के दफ्तरों में बंद का आह्वान किया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी दी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में ममता बनर्जी अपने सियासी फायदे के लिए राजनीति करना बंद कर दें। साथ ही GJM ने दार्जिलिंग में आने वाले और पहले से मौजूद पर्यटकों को अपना खतरा खुद सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
गोरखालैंड की मांग कर रहे संगठन ने बांग्ला भाषा की अनिवार्यता के चलते दार्जिलिंग में तनाव पूर्ण माहौल बना हुआ है। जिसके बाद GJM ने सोमवार को जीटीए के कार्यालयों को बंद करने का आह्वान किया है। ऐसे में करीब एक हफ्ते पहले शुरु हुई हिंसा खत्म नहीं हो पा रही है। बंद का आह्वान करने के बाद यहां भारी मात्रा में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। हालांकि क्षेत्रीय पार्टी अपने कदम पीछे हटाने का नाम नहीं ले रही है। और ममता बनर्जी ने कार्यालय बंद नहीं होने की बात कही है। जिसके चलते जीजेएम ने स्कूल, कॉलेजों, परिवहन आदि को बंद नहीं किया गया है।ममता बनर्जी के इस बयान के बाद शनिवार को मोर्चा प्रमुख ने केंद्र सरकार से ममता बनर्जी के रवैये के बारे में बात करने को कहा है। विमल गुरुंग का कहना है कि ममता बनर्जी का यह तानाशाह वाला रवैया ठीक नहीं है और इसले लिए वह प्रधानमंत्री को पत्र जरूर लिखेंगे।