मेरठ। प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों में एक अपराध ने और जन्म लिया है, जिसमे दलितों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन सबसे अहम बात ये कि इन विरोधो की शिकायत के बाद भी पुलिस महकमा दलितों की सुनने के लिए भी तैयार नहीं है, जिसके विरोध में प्रदेश भर में दलित अपना विरोध दर्ज करा रहे है।
मेरठ के थाना भावनपुर क्षेत्र के रसना राली चौहान गांव में दलितों की संख्या नाम मात्र है, जबकि ये गांव ठाकुरों का गांव कहलाता है। दलितों की माने तो कुछ दिन पूर्व इस गांव में ठाकुरों और दलितों के बीच कुछ कहासुनी हो गई थी। जिसमे ठाकुरों ने दलितों की पिटाई कर दी थी। लेकिन पुलिस ने उल्टा पीड़ित दलितों पर ही मुकदमा लिख कर दो लोगों को जेल भेज दिया था। जबकि ठाकुरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि थाना पुलिस ने आरोपियों के साथ साठगांठ कर ली है। इसलिए दलितों को पकड़ कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है।
दलितों पर हो रहे आतियाचारों के खिलाफ बसपा के पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी भी दलितों के साथ पहुंचे और इंसाफ की मांग करने लगे। उधर इस मामले में पुलिस के आलाधिकारी भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। अब तो ऐसा लगता है कि, अधिकारियों पर किस बात का दबाव है, लेकिन सवाल यही है कि इस तरह के दो मसाम्पर्दाए वाले मामलों में पुलिस तत्काल को निर्णय क्यूं नहीं निकालती।