कभी डकैतों की सबसे बड़ी दुश्मन रही पुलिस आज उन्हीं डकैतों के इतिहास को संजोने की कोशिश कर रही है। भिंड की पुलिस एक ऐसा म्यूजियम बनाने जा रही है जिसमें डकैतों की निशानियां रखी जायेंगी।
दरअसल, चम्बल में कभी डकैतों के लिए सबसे बड़ा खतरा रहे, मेहगांव थाना की पुरानी बिल्डिंग को म्यूजियम में बदला जा रहा है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई हैं.. साफ सफाई और रंग रोगन कराने के बाद इसे म्यूजियम जैसा स्वरूप दिया जायेगा, जिसमें डकैतों की बंदूक, गोलियां, देशी बम, कट्टा, कपड़े, सरेंडर के फोटो, बर्तन समेत अन्य बरामद सामान रखा जायेगा।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा में पड़ने वाला चंबल कभी डकैतों के साथ कदम चाल करता था। चंबल के जंगल में खूंखार जानवरों ज्यादा डकैत घूमते थे। 80 और 90 के दशक में यहां पुलिस भी घुसने से डरती थी। आए दिन मुठभेड़ और मौतों का सिलसिला चलता था। गोलियों की आवाज गूंजती थी। हवा में बारूद की गंध फैली रहती थी।कभी यहां फूलन देवी की बंदूक गरजती थी, कभी मलखान सिंह का दबदबा था।
पर नई सदी आते-आते डकैतों का उन्मूलन हुआ। कुछ ने सरेंडर कर दिया, कुछ मार डाले गए। बता दें कि चंबल में 1980 से लेकर 90 तक कई डाकुओं ने सरेंडर किया था. इनमें फूलन देवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधो सिंह जैसे डकैत शामिल थे। अब यहां जिंदा है, तो सिर्फ चंबल और उसका इतिहास। ऐसे में भिंड पुलिस दूसरे जिलों से भी डकैतों की सामाग्री इकट्ठा कर उनके इतिहास को दर्ज करने में जुटी है।
दरअसल, पुलिस का मानना है, कि ऐसे संग्राहालय के माध्यम से लोगों को अपराध से दूर किया जा सकता है। पुलिस का कहना है कि समर्पण के बाद इन डाकुओं ने सजा भी काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौटे। ऐसे में इनकी कहानी से नई पीढ़ी के लोगों को सबक मिलेगी और वो अपराध करने की सोचने से बचेंगें।
वैसे बताया जा रहा है कि इस म्यूजियम में मुठभेड़ में शहीद हुए सिपाहियों को भी स्थान मिलेगा और पुलिस की बहादुरी की भी कहानियां संग्रहालय में बताई जायेंगी। ।