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BSF तोपखाना रेजिमेंट के 50वें स्थापना दिवस पर साइकिल रैली, 1200 किमी का सफर तय करेंगे जवान

BSF BSF तोपखाना रेजिमेंट के 50वें स्थापना दिवस पर साइकिल रैली, 1200 किमी का सफर तय करेंगे जवान

जैसलमेर से नरेश सोनी की रिपोर्ट

जैसलमेर: भारत के हर पड़ोसी देश से लगती सीमाओं को माफूज रखने को तत्पर भारतीय सेना की अग्रिम सुरक्षा पंक्ति सीमा सुरक्षा बल की तोपखाना रेजिमेंट की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर गोल्डन जुबली वर्ष समरोह के रूप में मनाया जा रहा है। देश के विभिन्न जगहों पर जहां बीएसएफ की तोपखाना रेजिमेंट की टुकड़ियां स्थित है वहां इस वर्ष स्थापना दिवस को मनाया जा रहा है। इसी क्रम में गुजरात से एक साइकिल दल अटारी तक यात्रा कर आमजन को तोपखाना रेजिमेंट की ताकत और कार्यप्रणाली से रूबरू करवाएगा। जिससे देश का हर नागरिक स्वयं को गौरवांवित महशूस कर सके।

(BSF) बीएसएफ तोपखाना रेजिमेंट के स्वर्ण जयंती स्थापना वर्ष के अवसर पर आयोजित यह साइकिल रैली जिसमें 15 बीएसएफ आर्टिलरी रेजिमेंट के अधिकारी और जवान भाग ले रहे हैं जो लगभग 1200 किलोमीटर की यात्रा कर गुजरात से अटारी बॉर्डर तक पहुंचेंगे। यह रैली 28 जुलाई को जैसलमेर स्थित बीएसएफ की 1022 तोपखाना रेजिमेंट मुख्यालय पहुंचेंगी। जहां बीएसएफ के आला अधिकारी स्वागत करेंगे। ये जवान 29 जुलाई तक जैसलमेर में रुकेंगे। 30 जुलाई को सुबह होते ही यात्रा के लिए निकल पड़ेंगे। इस दौरान साइकिल रैली इंडोर स्टेडियम से मुख्य बाजार होते हुए सोनार दुर्ग के मुख्य गेट तक पहुंचेगी। जहां पर रैली का पुष्प वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा।

बीएसएफ के आर्टी रेजिमेंट 1022 के कमांडेट एसएस पंवार ने बताया कि 1 अक्टूबर 1971 को बीएसएफ की तोपखाना रेजिमेंट की स्थापना हुई थी। इस वर्ष दुश्मनों को मुहतौड़ जवाब देने की क्षमता रखने वाले रेजिमेंट तोपखाना रेजिमेंट का गोल्डन जुबली वर्ष है। और BSF ने इसे भव्य रूप से मनाने का निर्णय लिया जिसके अन्तर्गत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में मशाल यात्रा को स्वयं रवाना किया। वहीं कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे है इसी कड़ी में गुजरात के भुज स्थित बीएसएफ तोपखाना रेजिमेंट के हेड क्वार्टर से एक साइकिल रैली रवाना होकर लगभग 1200 किलोमीटर की यात्रा तय कर अटारी पहुंचेगी।

BSF में आर्टिलरी विंग क्या है भूमिका ?

पिछले 50 वर्षों में, बीएसएफ आर्टिलरी ने अपने आदर्श वाक्य, “लक्ष्मी, निश्चे, विजय” पर खरा उतरा है और सेना के साथ उत्कृष्ट तालमेल और सहज एकीकरण प्रदर्शित किया है और हमेशा अपनी योग्यता साबित की है। चाहे वह बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में अभिनव और समर्पित अग्नि समर्थन हो। 1971 या 1999 के कारगिल युद्ध में भीषण अर्टी द्वंद्व या हाल के दिनों में कश्मीर सीमांत में संघर्ष विराम उल्लंघनों के दौरान सटीक और लगातार प्रतिक्रिया।

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