जम्मू - कश्मीर राज्य

ऊंचाई से लद्दाख में कोविड-19 के मामलों में आई कमी: विशेषज्ञ

कोविड-19

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लगातार कोविड-19 के मामलों में कमी आती दिखाई दे रही है आपको बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बीते 4 महीनों में संक्रमण के 1327 मामले सामने आए हैं और 6 रोगियों की मौत हुई है अन्य राज्यों के मुकाबले यह आंकड़ा बहुत कम है जिसके चलते इस बात को माना जा रहा है कि 3000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाले लोगों में संक्रमण फैलने की संभावना बहुत कम है जबकि निचले हिस्सों में रहने वाले लोगों में लगातार तेजी के साथ संक्रमण फैल रहा है निचले हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में कोई खास गिरावट नहीं आ रही है लेकिन इस केंद्र शासित प्रदेश में ऊंचाई पर रहने वाले लोगों में संक्रमण के मामले कम होते हुए दिखाई दिए हैं इसका मुख्य कारण अत्यधिक ऊंचाई और उच्च पैरा बैगनी के नौ को माना जा रहा है यह बात विशेषज्ञों द्वारा कही गई है साथ ही स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने बताया कि लद्दाख में कोविड-19 के रोगियों के ठीक होने की दर 80% से अधिक है जो राष्ट्रीय औसत 64.24 फ़ीसदी के मुकाबले बहुत अधिक है। लद्दाख में कुल 1067 लोग संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। फिलहाल 254 रोगियों का इलाज चल रहा है सभी रोगी अस्पतालों, कोरोनावायरस केंद्रों में और घरों में अलग से चिकित्सा निगरानी में है। इससे भी अच्छी बात यह है कि कोई भी मरीज वेंटिलेटर पर नहीं है।

लद्दाख में कोविड-19 के रोगी हो रहे ठीक

सेवानिवृत्त डॉक्टर तथा लद्दाख बचाओ संस्थान के प्रबंधक निदेशक सेरिंग नोरबू ने कहा कि अच्छी बात और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि अधिकतर रोगी ऐसे इलाकों से संबंध रखते हैं जहां पर्यावरण संबंधी दिक्कतें अधिक है। पर्यावरण खराब होने के कारण फेफड़े की रक्षा करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद सभी संक्रमण रोगी समय पर ठीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इसी के चलते अनुसंधानकर्ताओं ने तिब्बत के लहासा और चीन के वुहान शहर जैसे अन्य अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर कोविड-19 के प्रभाव को समझने का प्रयास किया। कनाडा के कार्डियोलॉजी एंड रेस्पिरोलॉजिल संस्थान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए हालिया अध्ययन में इन तथ्यों का समर्थन किया गया है।

लद्दाख में वेंटिलेटर पर नहीं है कोई भी रोगी

इस अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 को लेकर किया गया शोध इस बात का संकेत देता है कि 3000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाली आबादी पर सार्स कोव – 2 संक्रमण का प्रभाव पड़ने की संभावना बहुत कम है. इसका संबंध शारीरिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों से बताया गया है। अध्ययन के अनुसार अत्यधिक ऊंचाई पर वातावरण, शुष्क जलवायु, दिन और रात में तापमान में बड़ा फर्क और उच्च पराबैगनी विकरण सैनिटाइजर के रूप में कार्य करते रहे है। इसको लेकर एएनएम अस्पताल में सलाहकार चिकित्सक ताशि थिनलास ने कहा कि लद्दाख में रोगियों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है। हमारे पास जो रोगी आ रहे हैं उनमें हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं इसके अलावा यहां कोई भी रोगी वेंटिलेटर पर नहीं है।

दिल्ली और महाराष्ट्र में लगातार फैल रहा संक्रमण

अगर बात अन्य क्षेत्रों की की जाए तो अन्य क्षेत्रों में कोविड-19 का असर बुरी तरह फैल रहा है और संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोशिशों के बावजूद भी संक्रमण में इस तरह से परिणाम दिखाई नहीं दे रहे है जिस प्रकार से लद्दाख में लगातार संक्रमण में गिरावट दर्ज हो रही है। कई राज्यों में स्थिति गंभीर है चिकित्सा सुविधा मिलने के बाद भी संक्रमण के मामलों में इस प्रकार से कमी नहीं आयी है। लगातार संक्रमण के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्य में संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली और महाराष्ट्र में संक्रमण इस तरह फैला हुआ है कि मरने वालों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। बहुत प्रयासों के बाद भी यह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी संक्रमण का बड़े स्तर पर फैल रहा है। जिसका प्रभाव वहां के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

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