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अमृतसर के करीब साढ़े 15 साल पुराने बहुचर्चित सामूहिक आत्महत्या मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला, जाने किसको मिली कितनी सजा

पंजाब 7 अमृतसर के करीब साढ़े 15 साल पुराने बहुचर्चित सामूहिक आत्महत्या मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला, जाने किसको मिली कितनी सजा

अमृतसर। अमृतसर के करीब साढ़े 15 साल पुराने बहुचर्चित सामूहिक आत्महत्या के मामले में बुधवार को कोर्ट का फैसला आया है। जिला अदालत ने इस मामले में पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह समेत 5 को 8 साल की तो डीएसपी हरदेव सिंह को 4 साल की कैद की सजा सुनाई है। डीआईजी पर दुष्कर्म का भी आरोप है। घटना 31 अक्तूबर 2004 की है, जब करोड़ी चौक इलाके के निवासी हरदीप सिंह, पत्नी रोमी, मां जसवंत कौर और दो बच्चों सिमरन व ईशमीत ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने दीवारों पर सुसाइड लिखकर पुलिस अफसरों व कुछ अन्य लोगों पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। सोमवार को इन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिए गए पूर्व डीआईजी और डीएसपी को सजा का फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया। 

मिली जानकारी के अनुसार करोड़ी चौक के हरदीप सिंह का अपने पिता सुंदर सिंह के साथ विवाद चल रहा था। 11 अगस्त 2004 को झगड़े में हरदीप के हाथों पिता की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद हरदीप शव ठिकाने लगा रहा था तो उसके ताऊ महिंदर सिंह की बहू सबरीन कौर ने देख लिया। इसके बाद महिंदर सिंह, सबरीन कौर, परमिंदर कौर और उसके पति पलविंदर पाल सिंह ने पुलिस से पकड़वाने की धमकियां देकर हरदीप को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। आरोप है कि इन लोगों ने हरदीप से 7 लाख रुपए ले लिए थे। इनके चंगुल से छुटकारा पाने के लिए हरदीप के एक दोस्त ने उसकी मुलाकात तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह के साथ करवाई। कुलतार सिंह ने हरदीप के खिलाफ कमजोर केस दर्ज करने के लिए पांच लाख रुपए लिए। बाद में सात लाख रुपए की और मांग करने लगा। इतना ही नहीं, आरोप यह भी है कि कुलतार ने हरदीप की पत्‍नी के साथ अपने दफ्तर में दुष्कर्म भी किया था। वह हरदीप को ब्लैकमेल करते हुए उसकी पत्‍नी को चंडीगढ़ के एक गेस्ट हाउस में भी लेकर गया था।कुलतार अब डीआईजी के पद से रिटायर्ड हो चुका है।

पुलिस और रिश्तेदारों की ब्लैकमेलिंग से परेशान हरदीप सिंह ने 30 अक्टूबर 2004 की रात मां जसवंत कौर, पत्‍नी रोमी, बेटे इमरत (6) और बेटे सनमीत (9) के साथ घर में आत्महत्या कर ली। हरदीप ने आत्महत्या से पहले घर की दीवार पर लिखे सुसाइड नोट पर आरोपियों के नाम लिखे थे। 31 अक्टूबर को सी डिवीजन थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर हरदेव सिंह जब घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने कुलतार के आदेश पर दीवार पर लिखे गए सुसाइड नोट को मिटाना शुरू किया था, लेकिन मीडिया के पहुंचने से मामले का राज खुल चुका था।

सोमवार को इस पूरे प्रकरण में अमृतसर की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह को आठ साल और डीएसपी हरदेव सिंह को चार साल की कैद सुनाई। कुलतार पर 23000 रुपए और डीएसपी हरदेव सिंह पर 20000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। हरदीप के चार रिश्तेदारों में ताऊ महिंदर सिंह, बहू सबरीन कौर, बेटी परमिंदर कौर और दामाद पलविंदर पाल सिंह को आठ-आठ साल कैद की सजा सुनाई है। इस मौके पर वकील परमिन्दर सिंह सेठी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वह अदालत के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस वालों द्वारा सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाई गई थीं, इसलिए सिर्फ 8 और 4 साल की सजा काफी कम है।

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