नई दिल्ली। जैसा कि सभी जानते हैं कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है। किसान आंदोलन को करीब दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं। इसके साथ ही किसान संगठनों द्वारा गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था। जिसके चलते इस दौरान हिंसा भड़क उठी थी। जिसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर भी धावा बोल दिया था। जिसके चलते लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने निशान साहिब का झंडा लगा दिया था। जिसके बाद अब पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही इस संबंध में कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में कोई भी दखल नहीं देगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि सरकार मामले को देख रही है और कानून अपना काम करेगा।
हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिकाएं-
बता दें कि गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद देश में अशांति का माहौल पैदा हो गया था। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दीप सिद्धू, जुगराज सिंह समेत चार लोगों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित किया है। ये लोग लाल किला पर धार्मिक झंडा फहराने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने में शामिल थे। इतना ही नहीं पुलिस ने हिंसा में शामिल चार अन्य लोगों पर 50-50 हजार का इनाम रखा है। इसके साथ ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 37 किसान नेताओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। इसी क्रम में हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सामने पांच याचिकाएं लगी थीं। किसी में इसे देश विरोधी तत्वों की साजिश बताया गया है, किसी में सरकार और पुलिस की लापरवाही। कुछ याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग के गठन की मांग की गई। कुछ याचिकाओं में कहा गया है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका के मद्देनजर जांच एनआईए को सौंपी जानी चाहिए।
हिंसा के मामले में सरकार को सौंपे ज्ञापन- सुप्रीम कोर्ट
इसके साथ ही मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बयान देखा है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। कानून अपना काम करेगा, इसलिए हम दखल नहीं देना चाहते। इस मामले में आप सरकार को ज्ञापन दें।