नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये दस फीसदी आरक्षण देने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकायें संविधान पीठ को सौंपने के सवाल पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस बारे में अपना आदेश बाद में देगा।
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान करने संबंधी संविधान (103वां संशोधन) कानून का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले करीब 20 करोड़ लोगों का उत्थान करना है।
पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान करने संबंधी संविधान (103वां संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने के मुद्दे पर सुनवाई के बाद कहा कि इस बारे में आदेश बाद में दिया जायेगा। इन याचिकाओं में दलील दी गयी है कि आरक्षण का लाभ प्रदान करने के लिये आर्थिक स्थिति को आधार नहीं बनाया जा सकता।