लखनऊ: पिछले डेढ़ साल से अब तक कोविड असर का हर कहीं देखने को मिल रहा है । इससे छोटे और बड़े स्तर के लोग भी काफी परेशान हैं। तो वहीं देशव्यापी लॉकडाउन से राजधानी के अनाथालय, कुष्ठआश्रम और वृद्धाश्रम में अपने स्वेच्छा से पैसा दान करने वाले दानदाताओं की कमी देखी जा रही है। हालांकि जनवरी के बाद कुछ दानदाता बढ़ चुके थे, लेकिन कोविड की दूसरी लहर के बाद दानदाताओं ने जरुरतमंदों से कोसों की दूरी बना ली है।
अनाथलय कहां संख्या
राजकीय बालगृह शिशु प्राय नारायण रोड 70
राजकीय बालगृह बालक मोहन रोड 100
राजकीय बालगृह बालिका मोतीनगर 110
वृद्धाश्रम
सज्जन फाउंडेशन जानकीपुरम 10
सार्वजनिक शिक्षोनयन संस्थान सरोजनीनगर 80
कुष्ठआश्रम
आदर्श कुष्ठ आश्रम आलमबाग 200
संक्रमण ने बढ़ाई मुसीबतें
आर्दश कुष्ठ आश्रम के सेक्रेट्री किशन ने बताया कि आश्रम में बड़े-बुजुर्ग और बच्चों को मिलाकर लगभग दो सौ कुष्ठरोगी रहते हैं। आमतौर पर शहर की समाजिक संस्थाएं और बड़े स्तर के दानदाता अपनी स्वेच्छा से कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए पैसा दान करते थे। हर महीने आश्रम में 15 से 20 दानदाता करीब 30 से 40 हजार रुपए तक दान देते थे। देश व्यापी लॉकडाउन के बाद से अब यह दान दस हजार रुपए तक नहीं पहुंच पाता। कोरोना संक्रमण के चलते दानदाताओं की भी मुसीबत बढ़ चुकी है। अब जैसे-तैसे कम चल रहा है।
दानदाताओं की जेब हुई ढीली
सार्वजनिक शिक्षोनय संस्थान वृद्धाश्रम के सिक्योरिटी इंचार्ज कुलदीप त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना संक्रमण ने दानदाताओं की जेब खाली कर दी है। आश्रम में तकरीबन 70 से 80 बुजुर्ग एक साथ रहते है। हर महीने दानदाता धर्माथ और बुजुर्गों की सेवाभाव के लिए 25 से 30 हजार रुपए तक चंदा देते थे। जो अब सिमट कर पांच हजार रुपए तक पहुंच गया है। वहीं सज्जन फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित सक्सेना के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर के बाद दानदाताओं ने बुजुर्गों से दूरी बना ली है। जो दानदाता अक्सर अपनी छोटी-छोटी खुशियां इन बुजुर्गों के साथ मिलकर सेलीब्रेट करते थे।
दानदाताओं की जेब पर असर
सिटी चाइल्डलाइन के कांउसलर कृष्णा कुमार शर्मा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास कल्याण की ओर संचालित राजधानी में तीन अनाथालय है । इनमें पांच साल से 18 साल तक के बच्चे रहते हैं। बताया कि शुरुआत में ही सभी अनाथालय में बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा है। जबकि बाहर से आने वाले भोजन पर रोक लगी है। ऐसे में समाजसेवी संस्थाएं एवं बड़े दानदाता बच्चों की देखभाल के लिए लगभग तीस हजार रुपए तक कैश दान करते थे। पिछले डेढ़ बरस से दानदाताओं की जेब पर संक्रमण का भारी असर पड़ा है। यही वजह है कि दानदाताओं में कहीं हद तक कमी भी हुई है। तो वहीं बालविकास कल्याण अधिकारी डॉक्टर संगीता सिंह ने बताया कि कोविड संक्रमण का असर शेल्टर होम में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर पड़ा है। सुरक्षा और आर्थिक तंगी के चलते दानदाताओं में कमी देखी गई है।