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छठ पूजा पर नहीं दिखाई दिया कोरोना का असर, भक्तों ने कहा- हमें कहीं नहीं दिखाई दिया कोरोना, छठ माई उसका हरण कर लेंगी

49dd447f 5962 4df9 bbdc 7e53d4681074 छठ पूजा पर नहीं दिखाई दिया कोरोना का असर, भक्तों ने कहा- हमें कहीं नहीं दिखाई दिया कोरोना, छठ माई उसका हरण कर लेंगी

वाराणसी। देश के अलग-अलग हिस्सों में छठ पूजा के त्यौहार को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। बिहार में छठ पूजा को और त्यौहारों की तरह ही अधिक महत्व दिया जाता है। कोरोना के इस दौर में देशवासियों की सुरक्षा को देखते हुए सरकार ने घाट, तालाब और नदी किनारे पूजा करने पर रोक लगा दी थी। लेकिन भक्तों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जिसके चलते सभी जगह घाटों पर लोगों का भारी मात्रा में जमावाड़ा लगा हुआ है। छठ पूजा के चलते व्रत रखने वालो का पूरा परिवार इस अवसर का आनंद ले रहे हैं। छठ पूजा को लेकर भक्तों में काफी उल्लास देखा जा सकता है। ऐसा ही मनमोहक नजारा आज सूरज की पहली किरण के साथ वाराणसी घाट पर दिखई दिया। हालांकि इस बार वाराणसी घाट पर पहले की अपेक्षा कम लोग दिखाई दिए।

घाटों पर लगा भक्तो का मेला-

बता दें कि छठ का महापर्व देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं अपनी संतान के सुखी जीवन और लंबी उम्र की कामना करती हैं। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले ही शुरू हो जाता है। इस दिन चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय किया जाता है। इसका दूसरा दिन लोहंडा और खरना होता है जो कि पंचमी तिथि ​को होता है। वहीं इसका समापन सप्तमी तिथि को होता है। इसी दिन व्रत का पारण किया जाता है। आज छठ पूजा के व्रत का समापन है। जिसके चलते देश भर के घाटों पर भक्तों का जमावाड़ा है। वाराणसी में अस्सी घाट, मुंशी घाट, वाल्मिकी घट, रविदास घाट, चौरासी घाटों पर व्रत करने वाली महिलाओं और उनके परिवार के लोग आ चुके हैं। कोरोना महामारी के चलते भी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नहीं देखा जा रहा है। जब वहां पर मौजूद एक भक्त से पूछा गया कि क्या कोरोना भाग गया तो उसने जबाव दिया कि कोरोना भाग गया है, कहां है बताइए इन लोगों में आपकों कहीं कोरोना दिखाई दे रहा है। वहीं जब इसी बात को दूसरे भक्त से पूछा गया तो उन्होंने बताया कोरोना तो है जिससे हमे अपना बचाव करना चाहिए। लेकिन डरने की कोई बात नहीं है क्योंकि छठ माई इस कोरोना का हरण कर लेंगी।

फल और दूध लेकर सूर्य भगवान की आराधना की-

जिसके बाद सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ते ही व्रत करने वाली सभी महिलाएं और उनका परिवार फल और गाय लेकर भगवान की पूजा-अर्चना करने लगे। इसी के साथ सभी भक्तों ने अपने साथ छ: गन्ने लेकर पानी जल में भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। क्योंकि यह छठ माई का व्रत है। इसलिए छ: गन्ने ले जाना आवश्यक है। इसी दौरान ऐसा लगा कि लोगों में से कोरोना का भय अब खत्म हो गया है।

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