लखनऊ।कोरोना की दूसरी लहर से जूझने की राजधानी के सभी अस्पताल अपने तमाम प्रयासों में लगे हुए हैं। वहीं गंभीर मरीजों की भर्ती होने की समस्या के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में जगह ना मिलने के कारण उनकी हालत भी गंभीर होती चली जा रही है। शहर के निजी व सरकारी अस्पताल किसी भी गर्भवती महिला को इलाज देने व उनकी भर्ती करने में तमाम तरह से टालमटोल भी कर रहे हैं।
जिसके बाद मंगलवार को प्रभारी जिलाधिकारी ने जनपद के सभी चिकित्सा संस्थान अस्पतालों को गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती करने के लिए विशेष आदेश दिए हैं। जिसमें गर्भवतियों को कोरोना जैसे लक्षण होने या ना होने दोनों स्थितियों में अस्पताल में भर्ती कर उन्हें उपचार देने के निर्देश दिए गए हैं।
बवाल के बाद दिया आदेश
बीते कुछ दिनों पहले एक कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला को अस्पताल में विलंब से अस्पताल में भर्ती किए जाने पर हुए बवाल के बाद लखनऊ की प्रभारी जिलाधिकारी डॉक्टर रोशन जैकब में जिले के सभी सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों व संस्थानों के लिए एक नया आदेश जारी कर दिया है। जिसमें गर्भवती महिलाओं के कोविड-19 या नॉन कॉविड का वर्गीकरण किए बिना उन्हें सबसे पहले उन गर्भवतियों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज करने के निर्देश जारी किए हैं।
गर्भवती महिलाओं के इलाज के लिए पृथक स्थान होगा आरक्षित
प्रभारी जिलाधिकारी ने खास तौर पर एसजीपीजीआई, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, लोकबंधु राजनारायण अस्पताल, राम सागर मित्र, एमसीएच चिनहट सहित शहर के सभी निजी चिकित्सा संस्थानों वह सरकारी संस्थानों को कड़े तौर पर निर्देशित करते हुए पत्र लिखा है।
गर्भवती महिलाओं की भर्ती में कोरोना रिपोर्ट की अनिवार्यता को खत्म करने और गर्भववतियों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज करने के लिए निर्देशित करते हुए अस्पताल में एक पृथक स्थान आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। जिसमें महिलाओं को भर्ती कर उनकी सभी जरूरी जांच करने के साथ-साथ कोरोना की जांच कर उसकी रिपोर्ट आने तक महिलाओं को त्वरित उपचार मुहैया कराने वह उनकी देखभाल करने के लिए आदेश दिया है।