कोरोना वायरस के मामले भारत में कम हो रहें हैं। लेकिन अब सभी वैज्ञानिक इस बात की रिसर्च कर रहें हैं कि यह वायरस कहां से आया।
हालांकि इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपनी जांच एजेंसियों को यह आदेश दिए हैं कि वह 90 दिनों के भीतर यह पता करें कि कोरोना वायरस कहां से आया। ऐसे में अब पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपती डॉ. राहुल और डॉ. मोनाली राहलकर ने एक दावा किया है । जिसमें उन्होंने वायरस के जन्म के बारे में बात की है।
वुहान लैब से आया कोरोना !
देश में जब से कोरोना वायरस फैला है। तब से उसके पीछे कहीं ना कहीं चीन का नाम आ रहा है। हांलाकि चीन ने हमेशा इस बात से नकारा है। महाराष्ट्र के रहने वाले एक वैज्ञानिक दंपती ने इसके बारे में कुछ जानकारी जुटाई है। जिससे यह पता चलता है कि कोरोना वायरस वुहान की एक लैब से उत्पन्न हुआ है ना कि सीफूड मार्केट से। हालांकि चीन लगातार कोरोना वायरस की उत्पत्ति सीफूड मार्केट से होने का दावा करता आ रहा है।
अप्रैल 2020 में शुरू की थी रिसर्च
कोरोना पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर कहा कि यह पूरी तरह से नहीं बता सकते कि वायरस कहां से लीक हुआ। लेकिन उन्हें इस बात का पूरा यकीन है कि कोरोना वायरस इसी लैब से लीक हुआ। रिसर्च में कई सारी बातें सामने आई है। जो इस बात का दावा करते है।
डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर का कहना है कि आरएटीजी13 जो कि एक कोरोना वायरस है उसे दक्षिण चीन के युन्नान प्रांत के मोजियांग की गुफाओं से इकठृठा किया गया है। जिसके बाद इस वायरस को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ले जाया गया। हालांकि इस दौरान यह भी पता चला कि उस गुफा में चमगादड़ों की भरमार थी। जिन्हें साफ करने के लिए 6 खनिक रखे थे । जो कि निमोनिया जैसे बीमारी की चपेट में आ गए थे।
डब्ल्यूएचओ ने नहीं करवाई सही से जांच !
भारतीय वैज्ञानिकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ ने लैब से वायरस के लीक होने पर भी सही से जांच नहीं करवाई। जिसका खामियाजा अब सभी को भुगतना पड़ रहा है।