लखनऊ :अस्पतालों में कोरोना जांच के बढ़ते दबाव के बीच स्वास्थ्य विभाग को कई तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। कई बार जांच कराने वाला गलत नाम, पता या फोन नंबर लिखता है। तो कई बार स्वास्थ्य कर्मचारी ही गलत नंबर लिख देते हैं या जांच के समय आधार कार्ड तक नहीं देखते।
ऐसे में विभाग को संक्रमित आए मरीजों की ट्रेसिंग में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां तक की, विभाग को ट्रेकिंग के लिए पुलिस की सहायता तक लेनी पड़ रही है। स्वास्थ्य कार्मियो और लोगों की यह लापरवाही दूसरों के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं।
रोज छूट जाते है 5-6 मरीज
सीएमओ दफ्तर में नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि गलत नम्बर और नाम के कारण रोजाना 8-10 मरीज छूट जाते है। ये ऐसे मरीज होते है जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है लेकिन जब ट्रेसिंग टीम द्वारा उनके फ्रॉम में भरे गए नम्बर को मिलाया जाता है तो वो नम्बर गलत होता है। ऐसे में फार्म में भरे गए पाते को संबंधित इलाके के थाने में भेजा जाता है।
जिसके बाद पुलिस उनके बताए गए पाते पर जा कर उनका सही नम्बर देती है। इस प्रकिया में दो से तीन दिन गुजर जाते है। मरीज की तीन-चार दिन तक ट्रेसिंग न हो पाने से कोरोना के फैलने का मामला बढ़ता जाता है। अनलॉक की वजह से लोग अब घूम फिर रहे हैं, ऐसे में इन तीन चार दिनों में देखा जाए तो एक मरीज परिवार के अलावा कई लोगों से मिलता जुलता है। ऐसे में उन तक संक्रमण फैलने का खतरा हो जाता है।
जागरूकता की कमी
लोगों के बीच कोरोना को लेकर जागरूकता का अभी भी अभाव देखने को मिल रहा है। एक मास्क का कितने दिन प्रयोग हो, कैसे प्रयोग हो, हाथों की सफाई समेत कई मामलों में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। जिसकी वजह से भी दिक्कतें बढ़ रही हैं।
जिम्मेदार बोले-
इस मामले पर जब हमने एसीएमओ डॉ के पी त्रिपाठी से बातचीत करी तो उन्होंने बताया कि यदि इस तरह यदि कोरोना संक्रमित जानकारी गलत जानकारी दे रहे हैं तो इस विषय पर गंभीर चर्चा करके नई नीति बनाई जाएगी। जिससे कि किसी भी तरह से कोई कोरोना संक्रमित मरीज ना छूटने पाए और समय रहते करो ना कि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।