नई दिल्ली। अपनी लंबी-चौड़ी बघालने के चक्कर में पाकिस्तान हर बार मुंह की खाता है। वह दूसरे देशों पर तंज कंसने के वजाय अपने आंतरिक मुद्दों पर ही विवादों में घिर जाता है। ऐसा ही कुछ एक बार फिर देखने को मिला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने के कदम का उनके देश में ही विरोध हो रहा है। हाल ही में, इमरान खान की सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाकर वहां चुनाव करवाए और सूबे में अब उनकी ही पार्टी का नेता मुख्यमंत्री है। भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाने के फैसले को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को उसकी स्थिति में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है।
कई चीजों का स्टेटस नहीं बदला जाना चाहिए- दुर्रानी
बता दें कि पाकिस्तान के भीतर भी कुछ धड़े इमरान सरकार के इस कदम को गलत करार दे रहे हैं। उनकी चिंता ये है कि गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत बनाने से कश्मीर का एजेंडा कमजोर पड़ जाएगा। अब यही बात पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख दुर्रानी ने भी दोहराई है। दुर्रानी ने साल 2018 में “स्पाई क्रोनिकल्स: रॉ, आईएसआई ऐंड द इल्यूशन ऑफ पीस विद इंडियन’ नाम से एक किताब भी लिखी थी जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था। दुर्रानी ने यह किताब भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एनलिसिस विंग) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत के साथ मिलकर लिखी थी। बीबीसी ऊर्दू को दिए इंटरव्यू में दुर्रानी से सवाल किया गया कि पांच अगस्त को भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा छीना तो उससे कई समस्याएं खड़ी हो गईं लेकिन क्या पाकिस्तान का गिलगित बाल्टिस्तान को सूबा बनाने का फैसला सही है? दुर्रानी ने कहा, आप बिल्कुल सही बोल रही हैं। मैं जब कश्मीर को हैंडल कर रहा था तो मेरे एक करीबी दोस्त युसूफ ने कहा था कि अगर एक बार हमने ऐसी गलती की तो हमारे कश्मीर एजेंडे को बहुत गहरा धक्का लगेगा। दुर्रानी ने कहा, कई चीजों का स्टेटस नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि जब भी सियासी नंबर बढ़ाने के लिए ऐसा करेंगे तो हमें नुकसान होगा। बहावलपुर और स्वात बड़े अच्छे स्टेट थे। इन्हें मुख्यधारा में शामिल कर दिया और वही मुख्यधारा भ्रष्ट और नाकाम है। बलूचिस्तान के साथ भी हमने ऐसा ही किया। इसके तीन प्रांत बेहतर तरीके से संभल जाते थे लेकिन हमने उसे एक कर दिया और अब संभाल नहीं पा रहे हैं।
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद खुद ही कई मुश्किलों में फंसा भारत- दुर्रानी
इमरान सरकार ने कुछ दिनों पहले ही इस इलाके में चुनाव कराने की घोषणा की थी। हालांकि भारत ने इस घोषणा के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। विदेश मंत्रालय ने नवंबर महीने में होने वाले चुनाव को लेकर कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चुनाव कराकर पाकिस्तान भारत के हिस्से पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता है। चुनाव करवाने का फैसला वहां के लोगों के लिए सीधे-सीधे मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का गंभीर मामला है। दुर्रानी ने ये भी कहा कि भारत अब पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा नहीं है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद खुद ही कई मुश्किलों में फंसा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर भारत ने अपनी छुट्टी कर ली है। अब उनके पास सिर्फ डंडा है और कुछ नहीं। इसके बाद उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून लाकर अपने भीतर और मसला खड़ा कर लिया। इसका केवल मुसलमानों ने ही नहीं बल्कि समझदार हिन्दू और सिखों ने भी विरोध किया।