मेवाड़ की आन-बान और शान के लिए लड़े गए हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध (Haldi Ghati War) में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की सेनाएं पीछे हट गई थीं। राजसमंद जिले में स्थित रणभूमि रक्ततलाई (Rakt Talai) में दशकों से मेवाड़ी सेना को कमतर दिखाते और वीरों के बलिदानी गौरव को ठेस पहुंचाते ऐसे प्राचीन शिलालेख (बोर्ड) (plaques) गुरुवार को हटा लिए गए हैं। अनेक राजपूत व लोक संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।
मंत्रिमंडल में फेरबदल से कुछ दिन पहले राजसमंद सांसद दीया कुमारी और राजसमंद विधायक दीप्ती माहेश्वरी ने भी पूर्व केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के सामने इस मुद्दा रखा था और इस पर जल्द से जल्द संज्ञान लेने की मांग की थी। दीया कुमारी से मुलाक़ात के बाद प्रहलाद सिंह पटेल ने एएसआई को इन शिलालेखों को तुरंत हटाने के निर्देश दिए और इतिहास से जुड़े सही तथ्यों के साथ ही लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि जो सही है वो सबके सामने आना चाहिए। इतिहास के साथ किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जा सकता।
सांसद दीया कुमारी ने शिलालेखों को हटाए जाने के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का धन्यवाद करते हुए ट्वीट भी किया है कि ”प्रहलाद सिंह पटेल जी का आभार जो उन्होंने मेरे अनुरोध पर हल्दीघाटी में ऐतिहासिक स्थल पर लगाए गए पुरातत्व शिलालेखों में महाराणा प्रताप जी के शौर्य के बारे में अंकित त्रुटिपूर्ण तथ्यों को दुरूस्त करवाने की मांग स्वीकार की।”
आपको बता दें कि हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध की जानकारी देने वाले शिलालेखों पर मेवाड़ी सेना को कमतर दिखाते हुए लिखा गया था कि युद्ध में महाराणा प्रताप की सेनाएं पीछे हट गई थीं। जो गलत तथ्यों पर आधारित थी। राजसमंद जिले में स्थित रणभूमि रक्ततलाई में लगे ये शिलालेख दशकों से ना सिर्फ राजपूत समाज को बल्कि मेवाड़ी सेना के वीर शहीदों और उनके गौरवशाली बलिदान को भी ठेस पहुंचाते रहे हैं। अब हल्दीघाटी में आने वाले पर्यटक अकबर और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की सेनाओं के बीच सोलहवीं शताब्दी में हुए भीषण संग्राम का सही इतिहास जान सकेंगे।