देहरादून। उत्तराखंड में लगा दावानल पूर्ववर्ती सरकार की देन है यदि पूर्ववर्ती सरकार ने वनों की रक्षा के लिए विभिन्न मदों में दी गई करोड़ों की राशि का उपयोग किया होता तो यह भारी त्रासदी बच सकती थी। प्रदेश सरकार ने चालीस करोड़ से अधिक रूपए कहां खर्च किये हैं। इसका कोई हिसाब किताब नहीं है। यह आरोप भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भाजपा मुख्यालय में आयेाजित पत्रकार वार्ता में लगाए। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से बचने के लिए प्रति वर्ष दस से बारह करोड़ रूपये खर्च होते हैं। इसके लिए तीस से सौ मीटर तक की चैड़ी फायर लाइन बनायी जाती, लेकिन पिछले चार वर्षों से सरकार ने फायर लाइन पर कोई कार्य नहीं किया है। पैसे कहां खर्च हुए हैं यह पूर्ववर्ती सरकार जाने।
अजय भट्ट ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार का ध्यान अवैध खनन तस्करी को बढ़ावा देने, शराब के कारोबार में अपने लोगों को लूट की छूट देने को रहा है। अब जब हमारे जंगल जल रहे हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि केन्द्र सरकार ने पैसे नहीं दिये। यह बयान केवल भ्रमित करने के लिए हैं यदि केन्द्र सरकार वनों के लिए जो पैसा देती है उसे खर्च किया गया होता तो यह स्थिति न आती। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कैंपा के माध्यम से वनों की आर्थिक प्रबंधन किया जाता है। इसके लिए 2015-16 के मध्य सोलह करोड़ रूपये दिये गए । जिसके अन्तर्गत पशुओं के लिए जल प्रबंधन के लिए गड्ढ़े बनाना शामिल है, लेकिन इस सरकार ने कैंपा को उपयोगिता प्रमाण पत्र तक नहीं दिया। उन्होंने प्रश्न किया कि यह सौलह करोड़ कहा गए हरीश रावत बताएं। फायर लाइन और वॉटर होल बनाने के मामले पर सरकार ने एक बार भी समीक्षा नहीं की।