मेरठ। बीते दिनों मेरठ में जिला पंचायत के चुनाव हुए। चुनाव के बाद कई सारे अनसुलझे सवाल सामने उभर कर अब जबाव मांग रहे हैं। नोट के बदले वोट की गंदी राजनीति के डंक से लोकतंत्र की छोटी से बड़ी सभी इकाईयां डसी जा चुकी हैं। लेकिन अब ताजा मामला मेरठ से उभरा है।
जहां बीते दिनों जिला पंचायत चुनाव के दौरान वोटों की खरीद के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद प्रत्याशी सपना हुड्डा के पति प्रदीप हुड्डा ने भाजपा के युवा विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा है कि विधायक ने वोट मैनेज करने के लिए उनसे 48 लाख रूपए लिए लेकिन विधायक ने वोट नहीं दिलाया। इस बात को लेकर प्रदीप ने एसएसपी से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई है। हांलाकि पैसे के लेन-देन का कोई सबूत या साक्ष्य मौजूद नहीं है।
प्रदीप का आरोप है कि विधायक दबंग प्रकृति का है, इसने झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी भी दी है। हांलाकि प्रदीप पर कई पहले से ही अपराधिक केस दर्ज हैं। लेकिन मजे की बात तो ये है कि इस पीड़ित पर ही इनकी पत्नी के साथ जिला पंचायत सदस्य बने रविन्द्र कुमार ने ही प्रदीप के खिलाफ मोर्चा खो दिया है।
रविन्द्र का कहना है कि चुनाव के दौरान जब इनकी पत्नी चुनाव लड़ी तो प्रदीप ने उनसे 46 लाख रूपए बतौर उधार लिए, लेकिन जब उनसे रूपए की वापसी की बात कही गई तो प्रदीप पलट गए। उन्होने पिस्टल दिखाते हुए उन्होने धमकाकर भगा दिया। जिसको लेकर जानी थाने में एक तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है। इस मामले की पुलिस जांच भी कर रही है।
बीते शुक्रवार को प्रदीप ने एसएसपी मंजिल सैनी से मुलाकात कर दुबारा अपनी राम कहानी सुनाते हुए विधायक से पैसे वापस दिलाने की फरियाद की वहीं दूसरी तरफ रविन्द्र ने प्रदीप के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी किए जाने को लेकर एसएसपी मंजिल सैनी के दरबार में हाजिरी लगाई। लेकिन प्रशासन इन प्रकरण में जांच करने की बात कर अपना काम पूरा कर रही है।
नोट के बदले वोट को लेकर आखिर जिला प्रशासन मौन क्यूं?
लेकिन यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि लोकतंत्र में नोट के बदले वोट का ये मामला संज्ञान में आने के बाद जिला प्रशासन मौन क्यूं है । अगर प्रदीप ने वोट खरीदने के लिए पैसे दिए तो भी यह अपराध है। वह लगातार इस बात को स्वीकार करते हुए कह रहा है कि उसने विधायक सोमेन्द्र तोमर के लिए जरिए वोट खरीदने के लिए 48 लाख रूपए दिए थे। लेकिन प्रशासन देख कर अंदेखी करने में लगा हुआ है। वहीं इस प्रकरण में एसएसपी साहिबा जांच करने की बात कह रही हैं। जबकि दूसरे मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी प्रदीप की गिरफ्तारी या प्रदीप पर सिकंजा कसने के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं हो रहा है।
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आखिर क्या वजह है विधायक का नाम उछालने की?
हांलाकि इस बावत जब विधायक से पूछा गया तो उनका कथन था कि सरकार में फेरबदल होने वाला है। उन्हें उम्मीद है कि कोई अच्छा पद मिल सकता है। जिसके चलते विरोधी उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। गौर तलब हो कि विधायक की लोकप्रिय छवि उनके ही कई पार्टी के लोगों में अब अखरने लगी है।
इसके साथ ही उनके विरोधियों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि अगर ये युवा विधायक राजनीति में आगे बढ़ा तो उनकी राजनीति की दुकान में ताले लग जाएंगे। वहीं इस प्रकरण को लेकर जब भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी से बात की गई तो उन्होने साफ कहा कि ये असंवैधानिक है। इस तरह के कार्यों से सीधे तो पर लोकतंत्र पर हमला होता है। इस अपराध के लिए इन पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी का रवैया असंवेदनशील
विधायक पर आरोप सही है या नहीं लेकिन आरोप लगाने वाले ने खुद ही वोटों की खरीद फरोख्त की बात स्वीकार कर अपना गुनाह कबूल किया ऐसे में पहली कार्रवाई तो जिलापंचायत सदस्य और उसके पति पर होनी चाहिए। दूसरी बात इस प्रकरण से जुड़े एक मामले में प्राथमिकी दर्ज है। लिहाजा इस प्रकरण में जांच की गति तीव्र करते हुए ।
आरोपी पर लगाम लगाना जरूरी हो गया है। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी जिला प्रशासन केवल तमाशा ही देख रहा है। जबकि चुनाव आयोग में इस मामले की शिकायत दर्ज कर जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। क्योंकि नोट के बदले वोट का ये मामला खुद में संवेदनशील हो गया है। इस प्रकरण पर ना तो जिलाधिकारी कुछ बोलने को तैयार है ना ही जिला निर्वाचन से कोई अधिकारी। ऐसे में लोकतंत्र का मखौल खुलेआम उड़ाया जा रहा है।
अजस्र पीयूष