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राजस्थान विधानसभा चुनाव-गहलोत और पायलट खेमों में बंटे कांग्रेसी

01 36 राजस्थान विधानसभा चुनाव-गहलोत और पायलट खेमों में बंटे कांग्रेसी

नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव आते ही बीजेपी की तरह कांग्रेस नेताओं में भी खींचतान दिखनी शुरू हो गई है। बता दे कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच बढ़ रही खींचतान के चलते प्रदेश कें कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता दो खेमों में बंट गए।

01 36 राजस्थान विधानसभा चुनाव-गहलोत और पायलट खेमों में बंटे कांग्रेसी

पायलट गहलोत खेमों के बींच खींचतान

पायलट खेमा और गहलोत खेमा के बीच खींचतान कुछ इस तरह से बढ़ने लगी है कि गहलोत समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रमों से खुद को दूर कर लिया है। गहलोत समर्थक नेता पीसीसी के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस को एक कर सरकार बनाने तक की योजना कसे अमलमें लाने में गहलोत की भूमिका से उनके समर्थक उत्साहित है।

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स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष

गहलोत समर्थकों का कहना है कि उन्हे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष बनाया गया तो परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए । इसके बाद गुजरात प्रभारी रहते हुए गहलोत ने इस तरह की रणनीति बनाई कि भाजपा को बहुमत तक आने में काफी मेहनत करनी पड़ी । वहीं गुजरात से अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव जीताने में भी गहलोत की रणनीति ही काम आई।

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गहलोत को सामने लाए बगैर चुनाव जीतना मुश्किल

अब जब कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव हार गई,तो भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुलाब नबी आजाद के साथ गहलोत को कर्नाटक भेजा और वहां भी उन्होंने इस तरह की रणनीति बनाई कि जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने जा रहे है। गहलोत समर्थक राज्य पर्यटन विकास निगम के पूर्व चेयरमैन रणदीप धनखड का कहना है कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत को सामने लाए बगैर चुनाव जीतना मुश्किल है।

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मुख्यमंत्री पद के लिए स्वभाविक उम्मीदवार

इधर पीसीसी अध्यक्ष के नाते सचिन पायलट समर्थक अपने नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए स्वभाविक उम्मीदवार मान रहे है। पिछले तीन से चार माह में राज्य के सभी जिलों में पायलट समर्थक काफी तेजी से सक्रिय हुए है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से पायलट ने मेहनत कर नए मतदाओं को पार्टी के साथ जोड़ने की योजना बनाई और फिर निष्कि्रय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर मुख्यधारा में लाने का काम किया।

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पायलट समर्थकों का कहना है कि गहलोत समर्थकों के असहयोग के बावजूद पार्टी ने राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के साथ ही संगठन को मजबूत किया । पायलट के समर्थकों में अधिकांश वे नेता है,जिन्हे अशोक गहलोत के खिलाफ माना जाता है, इनमें पूर्व सांसद डॉ.हरिसिंह,पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल और राजेन्द्र चौधरी आदि प्रमुख है। ये सभी नेता गहलोत समर्थकों को मुख्यधारा से दूर रखने में जुटे रहते है।

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