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कांग्रेस आज करेगी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कैंडिडेट का फैसला

कांग्रेस आज करेगी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कैंडिडेट का फैसला

कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का फैसला आज यानी कि शुक्रवार को किया जाएगा।गौरतलब है कि दौनों राज्यों में सीएम के कैंडिडेट का फैसला राहुल गांधी पार्टी नेताओं से चर्चा करने के बाद करेंगे।खबर के मुताबिक यह जानकारी गुरुवार देर रात को दी गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ कई मीटिंग की हैं।इसके बावजूद जीत के तीन दिन बाद भी को सहमति नही बन सकी है।

 

कांग्रेस आज करेगी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कैंडिडेट का फैसला
कांग्रेस आज करेगी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कैंडिडेट का फैसला

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गौरतलब है कि पायलट ने राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया है।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निवास के बाहर पायलट के समर्थकों ने पायलट के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। राहुल गांधी ने देर शाम पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की। खड़गे ने कहा कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले शुक्रवार को प्रदेश नेताओं के साथ बैठक होगी।

मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस राजस्थान में सरकार बनने पर दो बार के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत पर मोहर गलाने जा रही थी। इसके लिए काफी कुछ तय हो गया था। हालांकि ऐसा नहीं हो सका जिसका कारण है कि पायलट समर्थकों द्वारा राहुल के सामने नया दृश्य प्रकट करना।

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मिली जानकारी के मुताबिक सात खास मुद्दों पर राहुल गांधी के सामने सचिन ने अपना पक्ष रखा।जिसके बाद राहुल ने इस मामले को अगले दिन के लिए टाल दिया।नहीं तो अशोक गहलोत सीएम बनने की तैयारी में जयपुर जाने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर बोर्डिंग पास भी ले चुके थे। अंत में गहलोत और सचिन पायलट दोनों को दिल्ली रुकने के लिए कह दिया था।

सचिन पायलट ने राहुल के सामने रखा पक्ष

सचिन पायलट ने कहा कि मैं किसी जाति की राजनीति नहीं करता इसके बावजूद मुझ पर गुर्जर होने की बात क्यों चस्पा की जा रही है।कहा जा है कि 4.5 प्रतिशत गुर्जर हैं, लेकिन मैंने सभी जातियों के साथ मिलाकर राजनीति की है।पायलट ने कहा कि जाति ही मायने नहीं रखती वरना तेली समाज से आने वाले पीएम मोदी को जोरदार बहुमत कैसे मिलता? उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में जाति मायने रखती है।राजनीतिक विद्वानों की मानें तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ को चुना गया है। जिनकी जाति मसला नहीं बनी। जहां तक 2019 के लोकसभा चुनाव में नतीजे देने की बात है तो गहलोत साहब 1998 में सीएम बनने के बाद 2003 में पार्टी को नहीं जिता पाए।

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बाद में वर्ष 2008 में सीएम बनने के बाद 2013 और 2014 में पार्टी धरातल पर आ गई।अगर गहलोत को राज्य का सीएम बनने की चाहत थी तो 2013 में हारने के बाद वो खुद प्रदेश अध्यक्ष बनते, लड़ाई लड़ते, लेकिन वह दिल्ली की राजनीति में व्यस्त होकर राज्य को कंट्रोल करने की कोशिश क्यों करते रहे? पार्टी में किसी को बनाना है तो उस हिसाब से फॉर्मूले बनाए जाते हैं और नहीं बनाना है तो उस हिसाब है। इसलिए साढ़े चार साल मेहनत के बाद मुझे बनाना है तो उसका फार्मूला तैयार कर लिया जाएगा और अगर किसी और को बनाना है तो उस हिसाब से फार्मूला बन जाएगा।

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गहलोत के खिलाफ ये भी कहा गया कि उन्होने बड़ा बहुमत रोकने के लिए कई बागियों का साथ दिया और पार्टी उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें पैदा कीं। जिससे बड़ा बहुमत होने पर आलाकमान सचिन के पक्ष में फैसला ना ले पाए। अपनी सारी दलीलों के बाद सचिन खेमे ने राहुल को ये भी आश्वस्त किया कि आलाकमान का फैसला सर माथे।अब इस पर फैसला राहुल गांधी को करना है जो आज दोपहर तक अपना फैसला सुना देंगे।

महेश कुमार यादव

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