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कांग्रेस ने ‘स्थापना दिवस’ पर आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद

कांग्रेस का 134 वां स्थआपना दिवस कांग्रेस ने 'स्थापना दिवस' पर आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जो कि आम तौर पर कांग्रेस के नाम से जानी जाती है। मालूम हो कि आज 28 दिसंबर 2018 को 134 साल पुरानी हो गई है। भारत की राजनीति में कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है। हालांकि मैजूदा दौर में पार्टी अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को हटाने के लिए जुझ रही है। कांग्रेस पार्टी अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को युवा और नए रूप में लाने का प्रयास कर रही है। पार्टी के 134 वें स्थापना दिवस के अवसर पर कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया है। कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर आजादी की जंग में अहम भूमिका निभा चुकी भारत की सबसे पुरानी पार्टी के कुछ महत्वपूर्ण पहलू ।

 

कांग्रेस का 134 वां स्थआपना दिवस कांग्रेस ने 'स्थापना दिवस' पर आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद
कांग्रेस ने ‘स्थापना दिवस’ पर आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद

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संस्थापक कर्ताओं का नाम

गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में की गई थी। ब्रिटिश सिविल सेवक और थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य एलन ऑक्टेवियन ह्यूम, दादाभाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, एमजी रानाडे, विनेश चंद्र बोनर्जी, दिनशॉ वाचा, मोनोमोहुन घोष और विलियम वेडरबर्न ने इसकी स्थापना की थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष वोमेश चंद्र बोनर्जी थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम में देश के लोगों की अकेली प्रतिनिधि रही। इसके बाद ये भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की सबसे बड़ी वाहक भी बनी थी। ब्रिटिश शासन के अंतिम वर्षों में कांग्रेस महात्मा गांधी के नेतृत्व और मार्गदर्शन की बदौलत जनता में अमिट छाप बनाने में सफलता की चर्म स्थिति को छू चुकी थी।

देश की सवतंत्रता के लिए लड़ने वालों में से एक रहे कांग्रेस के नेता जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। नेहरू 17 सालों तक पीएम पद पर रहे।इसके बाद में जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी उनकी राजनीतिक नौमिनी और भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री बनी हैं। इंदिरा गांधी की 1984 में हत्य कर दी गई थी। इसके पहले वह 15 साल तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रही। गौरतलब है कि 1885 में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न ‘हल के साथ दो बैल’ थे। हालांकि बाद में 1978 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने दाहिने हाथ के चिन्ह में बदल दिया था।

इंदिरा की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। 1984-89 के लिए भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। माना जाता है कि साल 1987 के बीच में बोफोर्स घोटाले ने उनकी भ्रष्टाचार-मुक्त छवि को नुकसान पहुंचाया था। साल 1989 के चुनाव में उनकी पार्टी की बड़ी हार हुई। 1991 में लिट्टे के एक आत्मघाती हमलावर ने उनकी हत्या कर दी।

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राजीव गांधी की हत्या के बाद 1998 में उनकी विधवा पत्नी, सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। 2004 के आम चुनाव में, कांग्रेस ने कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में नई सरकार बनी। सोनिया गांधी ने प्रधान मंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह को चुना। प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के पहले पांच साल के कार्यकाल में मनरेगा और आरटीआई जैसी महत्वपूर्ण पहलों को बढ़ाया। माना जा रहा है कि दूसरा कार्यकाल घोटालों से प्रभावित रहा। इसके बाद विपक्ष ने पार्टी पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में बेजोड़ भ्रष्टाचार हुआ। 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रस को बुरी तरह की हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को केवल 44 सीटें ही मिली थी। गौरतलब है कि दिसंबर 2017 में सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।

महेश कुमार यादव

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