जयपुर। विधानसभा के सत्र के दौरान हंगामा करना जैसे अब राजनेताओं की आदत में शुमार हो गया है। कई बार विधानसभा का पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता है और काम के नाम पर शून्य निकलता है। हंगामे की भेंट चढ़ रहा राजस्थान का विधानसभा सत्र के दौरान 12 कांग्रेस नेताओं को एक साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
राजस्थान के 14 विपक्षी एमएलए में से कांग्रेस के 12 एमएलए का सस्पेंशन एक साल से घटाकर एक दिन कर दिया गया है। मिल रही जानकारी के मुताबिक सीएम वसुधंरा राजे ने स्पीकर से इसके लिए गुजारिश की थी और स्पीकर ने इसे मानते हुए नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया। कहा गया है कि जब तक दोनों विधायक स्पीकर के चैंबर में जाकर उनसे माफी नहीं मांगते तब उनके सस्पेंशन में बदलाव नहीं किया जाएगा।
क्या है मामला?
राजस्थान विधानसभा में बुधवार(26-04-17) को सत्र के दौरान जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने सवाल पूछने के लिए बटन तो दबाया लेकिन स्पीकर ने उन्हें बोलने का मौका दिया। स्पीकल के व्यवहार पर
डोटासरा ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
डोटासरा के विरोध के बाद स्पीकर ने साफ शब्दों में कह दिया कि ये उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है। वो अपने नियमों में फैसला करते हैं। इसी बात पर विपक्षी विधायक अशोक चांदना और धीरज गुर्जर समेत कई विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस नेता इतने ज्यादा उग्र हो गए कि उन्होंने विधानसभा के अंदर अभद्र भाषा का प्रयोग किया।
कार्रवाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आ गया है कि हंगामे को काबू करने और विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए स्पीकर को मार्शल बुलाकर नेताओं को बाहर निकलना पड़ा।
इन्हें किया गया सस्पेंड
कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा, उपनेता रमेश मीणा, अशोक चांदना, धीरज गुर्जर, घनश्याम मेहर, दर्शन सिंह, श्रवण कुमार, शकुंतला रावत, रामनारायण गुर्जर और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल और बसपा के मनोज न्यांगली को विधानसभा से सस्पेंड किया गया है।
काम शून्य, हंगामा जबरदस्त इसके बाबजूद ना तो पार्टी इन नेताओं पर कार्रवाई करती है। ना ही सरकार, जिसके कारण नेताओं का मनोबल बढता है। राजस्थान विधानसभा में हुई इस कार्रवाई के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब नेता विधानसभा में हंगामा करने से पहले शायद एक बार सोच लें।
आशु दास