देश में जहां चुनावी मौसम अपने शबाब में हैं वहीं राजनेता भी इसमें पूरी तरह से मसगूल हैं। यहां तक कि वो राजनीतिक बयानों में एक दूसरे की जाति और गोत्र पर भी कटाक्ष करने से पहरेज नहीं करते हैं। मालूम हो कि पहले कांग्रेस के नेता पीसी जोशी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मोदी की जाति पूछी थी। हालांकि बाद में उन्होंने माफी भी मांगी थी। जोशी के इस बयान का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी विरोध किया था। वहीं खुद कांग्रेस भी सत्ता में वापसी करने के लिए ब्राहमण कार्ड खेलने की कोशिश कर रही है। इसको लेकर सियासी गलियारों में जुबानी जंग हो रही है।

इसे भी पढ़ेंःमहागठबंधन बनाने में जुटे नायडू, आज राहुल गांधी से करेंगे मुलाकात
राहुल गांधी ने आज पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में खुद को कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र का बताया है। मंदिर में पूजा करते हुए खुद को कौल ब्राह्मण बताया है।इसके पहले राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण और शिवभक्त घोषित कर चुके हैं। राहुल के गोत्र पर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया था। भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी के जाति और गोत्र पर निसाना साधती रहती है।
मालूम हो कि राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी थी जिन्होंने फिरोज गांधी से शादी की थी,जोकि पारसी थे। इंदिरा गांधी को दो पुत्र संजय गांधी और राजीव गांधी थे। राजीव ने ईसाई सोनिया से शादी की थी। सोनिया के बेटा और बेटी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हैं। संजय ने सिख मेनका से शादी की और उनके बेटे वरुण हैं। राजीव गांधी और संजय गांधी के नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू कौल ब्राह्मण थे। इसमें कोई विवाद कभी भी नहीं रहा हैं।पंडित नेहरू कश्मीरी पंडित थे इनका मूल टाइटल कौल था।
19वीं सदी के बाद कौल परिवार समाप्त हो गया
जवाहरलाल नेहरू के पूर्वज ‘राज कौल’ 18वीं सदी में दिल्ली के मुगल दरबार में आए थे। शहर में कौल ब्राह्मणों की काफी संख्या थी। इसीलिए नेहरू के पूर्वज भी यहीं आ गए। कहा जाता है कि इस परिवार का नाम कौल-नेहरू दौनों टाइटल को जोड़कर लिया जाता है।माना जाता है कि दिल्ली में इनका घर नहर के किनारे था।19वीं सदी में कौल-नेहरू परिवार आगरा चला गया। आगे चलकर कौल समाप्त हो गया और नेहरू मुख्य रूप से रह गया। बाता दें कि इसकी शुरुआत मोतीलाल नेहरू ने की थी।
मोती लाल नेहरू ने बार काउंसिल इलाहाबाद में अपना नाम केवल मोतीलाल नेहरू ही लिखावाया थाो। जवाहरलाल नेहरू की जीवनी में जॉन लैने ने लिखा है कि नेहरू का परिवार कश्मीरी पंडित था। और इनके पूर्वज राज कौल जो कि कश्मीर में संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। बता दें कि जवाहर लाल नेहरू की इकलौती बेटी और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पारसी फिरोज गांधी से शादी की।
इसे भी पढ़ेःजम्मू-कश्मीर में नहीं बनेगी सैनिकों और कश्मीरी पंडितों के लिए कॉलोनी
आपको बता दें कि फिरोज जहांगीर का जन्म तत्कालीन बंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। मुंबई के कई पारसियों की तरह यह परिवार भी गुजरात से यहां आया था। पेशे से मरीन इंजीनियर उनके पिता जहांगीर फरदून भरुच से ताल्लुक रखते थे। जबकि उनकी मां रतिमाई सूरत से थीं। फिरोज और इंदिरा की शादी से नेहरू खुश नहीं थे। दोनों ने महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद शादी इलाहाबाद में की थी जिसके बाद फिरोज को महात्मा गांधी ने अपना सरनेम भी दिया।